सोमवार, 27 अप्रैल 2015

ये तस्विर बहुत कुछ कहती है ..


ये तस्विर मौंन हो कर भी  बहुत कुछ कहती है
चलती न फरती फिर भी संग हमारे ही रहती है

देती हमें  फल /फूल /छाँव/ प्राण /वायु  /मगर
बदले  हमारे पत्थर से ही चोटील होते रहती है

सर्ववस्व निछावर कर दिया सारा जीवन अपना 
बेईज्जत ही हुई /बेकल ही हुई /बेगाना ही हुई 

लुटती रही /मिटती  रही /कभी  उफ्फ न  कही
बाहें पसारे मौन हो कर सब दर्दों को ये सहती है

ये तस्विर मौंन होकर भी बहुत कुछ कहती  है 
चलती न फिरती फिर भी संग हमारे ही रहती है

ये तस्विर मौंन होकर भी बहुत कुछ कहती  है

मगर अफ्शोस मानव ने इसका दोहन ही किया
सँवरे चमन को अब तिल-तिल उजाड़ ही दिया 

जान कर अंजान बनाअपनें दर्द का प्रमाण बना
पर अब भी बहुत कुछ है  जीवन सँवरेगा अपना

स्वार्थपन से परे हो जाओ सब  चैतन्य हो जाओ
़़़़़़़़देखो / समझो/ सुनों / ़़़़़़
ये तस्विर मौंन हो कर भी बहुत कुछ कहती है ..!!

                  .~~~~> मनीष गौतम " मनु"

शुभ *संध्या मित्रों..

आनें वाला  "पल"  और  "कल"  मंगलमय हो.....!!

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