भूकंप के झटके..!
जाँ गले में आ अटके .!!
प्रकृति से होंगी खिलवाड़.!
यूँ ही पड़ते रहेंगी फटकार.!!
गर प्रकृति का होता रहेंगा शोषण.!
भूकंप का भी होंगा इक दिन प्रमोशन.!!
जब पानी सिर के ऊपर से ही चलाजायेगा .!
फिर सोच लीजिए जलजला ही आ जायेगा.!!
प्रकृति का करें हम सभी हर दम मान सम्मान .!
तब ही पृथ्वी पर होंगा जन जन का कल्याण!!!
आज दु:ख की घड़ी आन पड़ी__\\_____\\___
___\\_____\\__ चलो मिल जायें कड़ी से कड़ी
. ~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शुभ*संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो.....!!!
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