सोमवार, 26 सितंबर 2016

मच्छर चालीसा

जय  मच्छर बलवान  उजागर ।
जय  अगणित रोगों   के सागर॥

नगर  दूत अतुलित  बल धामा ।
तुमको  जीत  ना   पाये  रामा ॥

गुप्त  रूप  घर  तुम  आ  जाते ।
भीम  रूप  धर  तुम खा  जाते ॥

मधुर-मधुर  खुजलाहट   लाते ।
सबकी    देह  लाल  कर  जात ॥

वैध - हकीम  के  तुम  रखवारे ।
घर-घर  में  वो तुम  रहने वाले ॥

मलेरिया  के   तुम   हो   दाता  ।
तुम खटमल के  हो छोटेभ्राता ॥

नाम   तुम्हारे  सब  बाजे डंका ।
तुमको कहीं न काल की  शंका ॥

मंदिर-मस्जिद और  गुरुद्वारा ।
घर-घर में हो  परचम  तुम्हारा ॥

सब जगह  तुम  अनादर   पाते ।
बिना  इजाजत  के  घुस  जाते ॥

कोई   जगह   ऐसी  न   छोड़ी ।
जहां रिश्तेदारी तुमने न जोड़ी ॥

जग,जनता तुम्हें खूब  पहिचाने ।
नगर  पालिका भी  लोहा माने ॥

डरकर  तुमको यह  वर  दीना ।
जब  तक चाहो सो तुम जीना ॥

भेद-भाव  तुमको  नहीं   आवे ।
प्रेम  तुम्हारा  सब कोई  पावे ॥

रूप-कुरूप  न तुमको जाना ।
छोटा - बड़ा न  तुमने  माना ॥

सावन  पड़न  न  सोवन देते  ।
तुम दुख देते सबसुख हर लेते ॥

भिंनभिंन जब तुम राग सुनाते ।
ढ़ोलक  पेटी तक शर्मा जाते  ॥

बाद  में  रोग  मिले बहु  पीड़ा ।
जगत   निरंतर मच्छर कीड़ा ॥

जो    मच्छर  चालीसा  गावे  ।
सब  दुख  मिले रोग सब पाये ॥
       ~~~~~>संकलित

रविवार, 25 सितंबर 2016

आजाद जीवन की मुस्कान

ये   मुस्कुराती  जिन्दगी  ।
और  चाहते    बेपनाह  है ॥

दिल      ज़िन्दादिल      है ।
दर्द के लिए समय कहाँ है ॥

जिन्दगी  यूँ ही गुजर जाती ।
धरती मेराघर छत आसमांहै॥

अब   कल की  किसे खबर ।
जीना कहाँ  मरना  कहाँ  हैं ॥

~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो....

मंगलवार, 20 सितंबर 2016

हमें अच्छे काम करते रहना चाहिए ।चाहे लोग तारीफ करें या न करें ।आधी से ज्यादा दुनियाँ सोती रहती है ।फिर भी सूरज उगता है । मुस्कुराते रहिए ॥
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ।

शनिवार, 17 सितंबर 2016

दूरदर्शिता और नि:स्वार्थ कुशल नेतृत्व । के सामने कोई टिक नहीं सकता । बस सफलताएँ कदम चूमती हैं ।
~~~~मनीष गौतम 'मनु'
शुभ संध्या मित्रों
आने वाला पल और कल मंगलमयी हो...

शुक्रवार, 16 सितंबर 2016

लालच~

लालच बुरी बलाय-
और बिल्ली नौ दो ग्यारह हो गयी ;

मित्रों ये दृश्य मेरे गाँव का है । जहाँ एक जंगली लालची बिल्ली,दूध के डिब्बे में अपना सिरफंसा बैठी और निकलने की जद्दोजहद में इधर-उधर उछलती-कूदती कभी जोर से गिरती कभी टकरा जाती । उसकी घबराहट, झटपटाहट दर्दनाक थी ।बहुत कोशिश के बाद भी वह निकल न सकी ।अंत में हताश और निढाल हो कर  एक स्थान पर लुढ़क गई ।

बिल्ली की दयनीय दशा देख मेरे पड़ोसी  ने हिम्मत और समझदारी से बिल्ली को विपत्ति से निजात दिलाया । और डिब्बे से छुटकारा मिलते ही बिल्ली नौ दो ग्यारह हो गयी ।

मित्रों इस घटना का विडियो मैने अपने मोबाइल से कल बनाया था ।
खैर ,बिल्ली तो बिल्ली ठहरी।मगर हम इन्सानों को बहुत बड़ा संदेश और सबक दे गयी ।

सुप्रभात मित्रों -
आने वाला पल और कल मंगलमयी हो ..

मंगलवार, 13 सितंबर 2016

अबला ,बकरे की अम्मा ~

यारो अभी-अभी  एक  ब्रेकिंग न्युज  आई  है !
बकरे     की    अम्मा   ने   यह   कहते    हुये ॥

जनहित     याचिका  लगाई   है - लोगों   की ।
खुशी   में   मेरे  परिवार की  बली दी  जाती है ॥

अरे     खुद    को     इन्सान    कहने    वालों ।
हम    निरापद ,  मूक ,  अबला, कामधेनु   पर ॥

ये    कैसी    इनसानियत   दिखाई   जाती  है ।
खुद    की   खुशी  में  अपने परिवार के  साथ ॥

मेरे    परिवार    की  'डल्ली'  उड़ाई  जाती  है ।
इतना   ही   नहीं   आदमी करे बुरा  काम  पर ॥

'उपमा'   हमारे   जनावर  जाति  की  लगाकर ।
गालियाँ देकर हमारी  खिल्ली उड़ाई जाती  है ॥

रे-मानव तीस-मार-खाँ होंगा तू -अरे तू   तो ।
अत्याचारी,अत्याचार सहने वाला अपराधी है ॥

सभ्यता का चोला ओड़ इनसानियत को दाग ।
लगाने वाला तू  'धर्मिष्ट' नहीं'  तू  अधर्मी  है ॥

तेरी   धर्मनिरपेक्षता,  धर्मपरायणता,   आस्था ।
सामाजिकता,राजनैतिकता  शुद्ध नहीं भ्रष्ट है ॥

जब-जब  ज्यादाती करोगे जलजला  आयेगा  ।
तेरे  जहाँ   की,  शान-ए-शौकत को  मिट्टी में ॥

मिला जायेगा  और तू हाथ मलता रह जायेगा ।
खुद को   इन्सान कहने  वाले  मानव  सुधरो ।

मुझे  आँखें  दिखा रहे हो  अब कान  खोलकर ॥
सुन   लो    पृथ्वी   पर  तू   तो  कलंकित   है  ।

अरे,अपनी आँखें फाड-फाड़कर  पढ़ लेना-ये  ।
वाकिया स्वर्ण अक्षरों से इतिहास में अंकित है ॥

बलि पर चड़े-
      ~~> बकरे की अबला अम्मा की व्यथा ॥।

पैरवीकर्ता -
                ~~~~> मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक -१२/०९२०१६
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो...!


सोमवार, 12 सितंबर 2016

हे...! राधे बावरी...!

जय    जय   जय   जय    हे.....!   राधारानी  ।
बनठन  कर   कहाँ चल दी हो किशन दिवानी ॥

नहीं   बताओगी   तुम  तो   हो   बहुत  सयानी ।
मैं   भी   तो  जानत  हूँ   तुमरे  मन  की  बानी ॥

आ     जाये     चाहे  जो  कुछ    भी    अड़चन ।
अब  हो   के  रहेगा  मनमोहन   से   आलिंगन ॥

पर  नयनाभिराम पिया की  राह  देखत-देखत ।
प्रेम   प्यास  और बड़ी   तुम बन गई हो चातक ॥

तनिक  देखो  कैसी  पथरा  सी  गई   है  आँखें ।
करने    केवल   प्रिय   मन-मोहन   के   दर्शन ॥

तुम  मृगतृष्णा काया सी  हो   गयी  हो  बावरी ।
और भटक  ही  हो  कस्तूरी मृग  बन वन-वन ॥

राधेरानी  ढ़ूंढ़ रही  हो  मनमोहन  को वनवन ।
या    करने  चली   हो  मनमोहन  से  अनबन ॥

मोहन की चाह में  रे 'मनु' तू कभी न भटकना ।
ता   मन   खोज  ले   मिल  जायेंगे मनमोहना ॥

जै  जै  श्रीकृष्णा मन की मिटा दे सारी तृष्णा ॥।
                            ~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक - १२/०९/२०१६

शुभ संध्या मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ..

हे ! राधा बावरी ...!

जय   जय   जय  हे..! किशन दिवानी ।
सज-धज  किधर  चल  दी  राधारानी ॥

मत  बताओ  तु म  हो   बहुत   सयानी ।
मैं   तो   जानत  हूँ  तेरे  मन  की बानी ॥

अब   आ   जाये   कुछ   भी   अड़चन ।
हो   के    रहेगा  मोहन  से    आलिंगन ॥

नयनाभिराम     राह     देखत - देखत ।
प्रेमप्यास   बड़ी  बन   गई  हो  चातक ॥

कैसी     पथरा    सी    गई    है  आँखें ।
देखो    करने   मनमोहन     के   दर्शन ॥

मृगतृष्णा   सी   हो    गयी   है   बावरी ।
कस्तूरी  मृग बन अब भटके  वन  वन ॥

राधेरानी ढ़ूंढ़ रही है  मोहन को वनवन ।
या करने चली है मनमोहन से  अनबन ॥

मोहन की चाहमें रे 'मनु ' तू न भटकना ।
तामन खोज ले मिल जायेंगे मनमोहना ॥

जैजै श्रीकृष्णा मन की मिटा दे सारी तृष्णा ॥

~~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक - १२/०९/२०१६
शुभ संध्या मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ..

गुरुवार, 8 सितंबर 2016

प्रातः वंदना~

नमन*नमन*नमन

इस धरती से उस नीले अम्बर  तक 

आंगन  से  बागों की  फुलवारी  तक

खेतों की लहलहाती हरियाली   तक

बुड़ों  से  बच्चो की किलकारी   तक

मंदिर  से  मस्जिद की मीनारों   तक

रिश्तेदारों की प्यारी रिश्तेदारी तक

दुनियाँ  की सारी  दुनियादारी   तक

सभी   धर्मों    के  धर्माधिकारी  तक

कश्मीर   से     कन्याकुमारी     तक

             रहे ;~

Ω अमन Ω चमन Ω अमन Ω चमन Ω
~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक -०८/०९/२०१६

सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ।

मंगलवार, 6 सितंबर 2016

जिन्दगी दर्द बनते जा रही ~

रिश्तों    के   बिच    अब   सिलवटें।

दुर्भावना     अब    बड़ते  जा   रही ॥

संकीर्ण मानसिकता के आधार तले ।

दृष्टिकोण,दूरदर्शिता,दृष्टिदोष  हुईं ॥

संबंधों  में  भी  अब  खुदगर्जी   पन ।   

आशाएँ   अपेक्षाएँ    ही    सर्वोपरी ॥     

किसी     अपेक्षा  की   उपेक्षा   से  ।   

अपनों  में  ही वैमनस्यता दिख रही ॥      

न  दिन  को  चैन  न   रात   सुकून ।            

हर पल   अब  अधिकार  की  पड़ी ॥  

'हम'  नहीं अब 'मैं' की हुई  भावना ।

इनसानियत   विखंडित    हो   रही ॥        

'मै'  नहीं  'हम' से समाज   बना   है ।

जिना    है   तो  समाज  को   बना ॥   

'हम'   जिन्दा हैं  समाज  के  सहारे ।           

जिन्दा    नहीं    हम   समाज बिना ॥

एकल   नहीं  हम  संयुक्त   बनकर ।           

हर    मुश्किल   को   आसान  करें ॥

जो जिन्दगी दर्द में डूबी  दिखती  है । 

उस  जिन्दगी  को उदीयमान  करें ॥              

दर्द  कहीं नहीं दिल ही  तो  बेदर्द  है ।

इसीलिये  जिवन में  दर्दे  ही दर्द  है ॥

       ~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'

दिनांक -०७/०९/२०१६
शुभ संध्या मित्रों ~
आनेवाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो।


विनायक से विनय ~

हे   बुद्धि  के  दाता  विघ्न  विनाशक
ज्ञान   हम  सब   जनों   को   दीजिए

कश्मीर    से     कन्याकुमारी    तक
गोवा  से    बंगाल   की   खाड़ी  तक

भारत एक  है और एक ही रहेगा ऐसा
दुनियाँ  को   कहने  लगा  ही  दीजिए

अभिव्यक्ति   की  स्वतंत्रता  से  नीत
कश्मीर   पर   बड़बोलापन   हो  रहा

कश्मीर  रोज रो रहा आतंक नाच रहा
आतंक को अपना तांडव दिखा दीजिए

बुद्धि के  दाता  हे  गजानन हे गणपति
अब  मेरी  अरजी  स्विकार  कीजिए ॥

॥गौरीलाल  गणेश  भगवान  की जय ॥
       ~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक -०७/०९/२०१६

सुप्रभात मित्रों ~
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो 

सोमवार, 5 सितंबर 2016

संयोग/सौभाग्य /समर्पण

गुरु गोविन्द  दोउ खड़े, काके लागू पाय  ।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय ॥

मित्रों संयोग से  शिक्षक दिवस और गणेशचतुर्थी । का महान पर्व आज एक ही दिन आया है । मित्रों दोनों पर्वो के विषय में हम कुछ खास -खास बातें जानते ही है ।

आईये हम दोनों पर्व की बतायीं गई भावनाओं को आत्मसात करें  और अपने और अपने परिवार के साथ संस्कृति और देश-समाज का भविष्य उज्जवल करने अपना योगदान देवें ।

क्योंकि हमसे मिलकर समाज बना है ।मगर हम जिन्दा है समाज के सहारे यदि हमें जिन्दा रहना है तो हमें समाज को जिन्दा रखना होंगा वर्ना । मनुष्यों का पतन निश्चित है । 

खैर,आज सौभाग्यशाली अवसर पर आप सभी मित्रों को सभी देशज जन को शिक्षक दिवस और गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ  ।
शुभ संध्या मित्रों ~
आनेवाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ।

रविवार, 4 सितंबर 2016

हर हर महादेव -

आज मेरे घर विराजमान हुए भोलेनाथ ।
तीज (हरितालिका व्रत ) हमारी स्थानीय भाषा में 'काजल तीजा' महान धार्मिक पर्व पर आप सभी मित्रों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।
उमापति महादेव की जय ।
                   हर हर महादेव ॥
शुभ संध्या मित्रों -
आनेवाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2016

सुमन

ये फूल हमें
मुस्कुराने की देते  अदा
घिरे रहते कांटों के बीच
मगर  खिलते रहते सदा
कभी जमी पर रौंदे जाते
कभी  दुल्हन  के जुड़े में  इतराते
कभी  प्रभु माथे शोभा  बड़ाते 
कभी शहिदों की चीता पर
गड़ते गौरव की कथा
मेरे अंगना सदा फूल बरसे
'मनु' मन सुमन-सुमन हो ज़ाये
फूलों  की अदाओ पर
मैं  इतराउ सदा
~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
०७/०२/२०१६
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ...


"मुई", छुईमुई -

'मुई'    थी    पहले      छुईमुई    सी  ।
अब   बन    गईं    है       ज़िन्दादिल ॥

कदम- दर- कदम  यूँ  रफ्तार  बड़ी  ।
धरती  से  उड़   छू   लिया    अम्बर ॥

वक्त    के    थपेड़ों   ने  उसे  बदला  ।
करती चकित अब  करतब दिखाकर ॥

मृगनयनी,  मृगतृष्णा,  मृगमरीचिका ।
कोमलता,  कोमलाॅगी,   प्रियदर्शिनी ॥

नामों   की   खटिया  खड़ी  कर  दी ।
अपने  अभिनव  जलवे   दिखा  कर ॥

सजा-संवार रही   अब सारी दुनिया ।
पुरूषों के कंधों से  कंधा मिला कर ॥

नारी तुम अबला नहीं अब सबला हो ।
आँखों  से आँख मिला परिचय दिया  ॥

दुनिया  से  लोहा  मंगवा  ही   लिया ।
बहु   आयामों  के  जौहर  दिखा कर ॥

"मुई"   छुईमुई   अब  ओजस्वी  हुई ।
घर   के   पर्दे    से   बाहर  आ   कर ॥

हे नारी तुम व्यर्थ नहीं ।
        तुम बिन दुनिया का अर्थ नहीं ॥

      ~~~~~>मनीष गौतम "मनु "
दिनांक ०१/०९/२०१६