रविवार, 19 अप्रैल 2015

हमारी आवश्यकता~


समाज में हमारी आवश्यकता-
"सब्जी में नमक " की तरह होनी चाहीऐ   |

जैसे - "सब्जी" में  "नमक" हो कर भी, किसी
को  दिखाई नहीं देता | केवल महसूस  होता  है  |

यदि  "सब्जी  में नमक"  न  हो  तो ,
सब उसकी   याद करते है...!!

.                     ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ-संध्या मित्रों _
आनें वाला "पल" और "कल"  मंगलमय हो..!!

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