वक्त के इस पहिये ने देखो ला दिया है फिर से शुक्रवार....! मुझको ऐतबार है कि आज मिलेगे
मुझे भुले- बिछड़े यार..! अरे..! अरे..! रुको-रुको भाई सतवीर...... तुम्हें सत् श्री आकाल.......!
रुको...रुको... भाई कलाम... तुम्हें भी सलाम.. ओफ्हो ....डेविड ब्रदर... गुड मार्निँग तो कर लो
यार..! अरे भाई रमन तुम मिल गये ....तुम्हें भी नमन...! अभी और मिलेगे मित्र गण उन्हे कहूँगा
सु-प्रभात...! हम सभी खुश रहे खिलता रहे अपना चमन..! हे.. भारत माता तुम्हे शत् शत्
नमन... वन्दे मातरम..! —
~~~~~~ मनीष गौतम "मनु"
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो.....!!
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