मन की सुन्दरता असली मायने की होती है ! मन की सुन्दरता में दिखावा नहीं होता जो भी वास्तविकता होती है झलक ही जाती है !
तन की सुन्दरता बेहद खुबसुरत लगती है ! पर तन की सुन्दरता में दिखावा और छल/कपट होता है ! जो समझ नहीं आता ! मगर जब समझ में आता है ! तब तक देर हो जाती है ! फिर चाहत का भूत उतर जाता है ! और एक दुसरे को चाहने वाले बाद में एक दुसरे को देखना तक पसंद नही करते !
फंडा ये की- हमें मन की सुन्दरता को समझ कर किसी से लगाव या चाहत बड़ाना चाहिए ! भले ही वो गरीब, कमजोर, या बद्दसुरत क्यों न हो !
शुभ संध्या मित्रों~
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो......
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