बुधवार, 8 अप्रैल 2015

मेरी ....... सुन्दरता.....!!

मन की सुन्दरता असली मायने की होती है ! मन की सुन्दरता में दिखावा नहीं होता  जो भी वास्तविकता होती है झलक ही जाती है !

तन की सुन्दरता  बेहद खुबसुरत लगती  है ! पर तन की सुन्दरता में दिखावा और छल/कपट होता है ! जो समझ  नहीं आता  ! मगर जब  समझ  में आता है ! तब तक देर  हो जाती  है ! फिर चाहत का भूत उतर जाता है ! और  एक दुसरे को चाहने वाले  बाद में  एक दुसरे  को  देखना तक  पसंद नही करते !

फंडा ये की- हमें  मन की सुन्दरता को समझ कर किसी  से लगाव  या चाहत  बड़ाना चाहिए ! भले ही वो गरीब, कमजोर, या बद्दसुरत क्यों न हो !

शुभ संध्या मित्रों~

आने वाला "पल" और "कल"  मंगलमय हो......

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