हे इन्द्र देव रहम कीजिए.....
मौसम बे दर्दी हो गया बेमौसम बरसात  ने की 
फसले  चौपट किसानों का तो बेड़गर्ग हो गया 
अब  अपना  भी हाल-ऐ- दिल कुछ ऐसा की       
ऑखे  हुई अधिर  , मन "मयुर लंगड़ा" हो गया  
टल रही  है 'नई '  मुलाकात लगातार" उनसे " 
सारे सपनें भिगों गया अब बदन में  सिर्फ है 
सिरहन  ठण्ड की  "उनके" बिना  मै  भी  
किसान की  तरह  अब  "झण्ड"  हो गया...!!
~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
सुप्रभात मित्रों आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो ......
 
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