शनिवार, 16 मई 2015

इन्तजार_


हुई शाम आपका  खयाल आ गया.

शुभ संध्या मित्रों
आने वाला "पल"  और  "कल"  मंगलमय हो……

शुक्रवार, 15 मई 2015

वार_


दोस्तों आज शनिवार है | सुबह-सुबह यदि चाय और चाहत इस अंदाज में मिले तो सोच लें सारा दिन  बेहाल है ...?

सुप्रभात मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……

सबक_

एक नोटिस ने बेचारे कलेक्टर महोदय को
" हीरो से जीरो " बना दिया .?

बुजुर्गों ने सच ही कहा है हमें अपना:-
ऱहन- सहन ,खान-पान, व्यवहार और पहनावे का "आचरण" -  माहौल/मौसम , समय/ परिस्थिति के अनुसार करना चाहीए  |

ये है | बस्तर जिले के कलेक्टर जो नींली शर्ट और काले रंग का चश्मा पहने, जो मोदी जी का आगमन पर अगवानी कर रहे थे । इनकी पोशाक को देख कर ऐसा लगता है जैसे किसी शादी समारोह में आये है ।
जो सेवा आचार सहिता के विपरीत थी ।
अब इन्हे राज्यपाल द्वारा नोटीस मिला है ।

शुभ* संध्या मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……

गुरुवार, 14 मई 2015

बधाई_


मेरी  जुड़वाँ  बेटीयाँ
कु. स्तुति गौतम \\!//  कु.स्नेही गौतम

10th M.P. बोर्ड  परीक्षा में  दोनों
द्वितीत श्रेणी से उत्तीर्ण ~
*बधाई*बधाई*बधाई*बधाई*बधाई*बधाई

शुभ * संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……!!

बुधवार, 13 मई 2015

शुभकामनाएँ ~

उजाले के आगे भला अँधेरा कब ठहर पाया है..!
ज्ञान ने मानव को सदा बलवंत बनाया है ..!

मगर सभी बातें धरी रह जाती है..!
जब  पेट में रोटी न हो..!  तो क्या करें ...?

बिना काम के रोटी भी नही मिलती..! 
आओ कोई काम तलाशें मेरे  बेरोजगार मित्रो..!

नई आशाओं का सूरज फिर  निकल आया है..!
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

(((((((((( सु-प्रभात  मित्रों)))))))))
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो …

मिलन_


सजना है मुझे सजना के लिए

शुभ संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो…

मंगलवार, 12 मई 2015

हे……! कृष्णा……!!

ये रोज - रोज की घटना…!
कभी भूकंप  कभी बाड़ कभी सूखा कभी आग कभी सड़क  कभी रेल तो कभी हवाई दुर्घटना
कहीं मौत कहीं चिख कहीं भूख  कहीं प्यास
कहीं लालच कहीं लाचारी कहींबेरहम दुनियादारी
ये मानव मन दहल गया न रचो ऐसी रचना भारी
हे…! किसन मुरारी … हे… ! किसन मुरारी……!!!!

शुभ*संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……

सोमवार, 11 मई 2015

दादा गीरी


बात समझ नहीं आयी तो सुन ले जनता
भाड़ में जाये संता-बंता और  भगवंता

अपनी सब काम लाठी से ही है बनता
बस मुंछ पर ताव  और लाठी जब हमने

यूँ गोल गोल हवा में लहराई तो सुन लो
जो चिज हमनें चाही वो मुठ्ठी में आ जाई

अपनी लाठी हरदम ही रहती  है प्यासी
जिस पर भी चलती प्यास बुझा ही जाती

जब सारा काम लाठी से ही है बनता तो
भाड़ में जाये नियम कानून और जनता

नेकी का नहीं लिया हमने कोई ठेका सेठ
बस हमरी चल गई लाठी हमरी  ही  है भैंस
~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……

समझ_


करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें,  सिल पर परत निसान।।

भावार्थ :-बार -बार रगड़ खाने से पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं। ठीक इसी प्रकार बार -बार अभ्यास करने से मंद बुद्धि /मूर्ख व्यक्ति भी कई नई बातें सीख कर उनका जानकार हो जाता है।

मगर अफसोस मूर्ख तो मूर्ख कुछ समझदार भी देखनें में आया है मूर्खों जैसी हरकत कर ही लेते है ! मेरा मतलब बार- बार बतलाया जाता है और तो और लिखा भी होता है कि :- यहाँ पेशाब करना मना है | थूकना मना है | धुम्रपान करना मना है |फिर भी अंदेखी और गलती की जाती है |

इस बात का नजारा  सार्वजनिक शौचालयो , अस्पताल की दिवारों , अन्य सामाजिक स्थलों में असानी से मजबूरी वस  देखनें  मिल ही जाता है ! रेल और अस्पताल  के शौचालयों का नजारा अफशोस जनक   होता है ! पान - तम्बाकु के पिक और  गंदे- भद्दे चित्रों  के  साथ मोबाईल  नम्बर  भी लिखे होते हैं | इस तरह की हरकत बुरी मानसिकता का परिचायक है |
मिलता कुछ नहीं !  बल्कि हमारे मिशन :-
" स्वच्छ भारत- स्वथ्य भारत" के लिये बाघक हैं |

ये बाधा कभी बहाल हो न हो पर जब हम स्वयं उक्त स्थलों पर जायें उन मूर्खों की तरह हमारा व्यवहार न हो इस बात का हम ध्यान जरूर रखें  |
आलेख ~~~~~~>मनीष गौतम "मनु"

शुभ* संध्या मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो …

रविवार, 10 मई 2015

वंदना_


उमापति महादेव की जय
जय जय शिव शंकर काँटा लगे न कंकर
ऊँ नम: शिवाय ऊँ नम: शिवाय ऊँ नम: शिवाय

सुप्रभात  * मित्रों_
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……

शनिवार, 9 मई 2015

आनंद


खिलखिलाते रस भरे फूल..!
चहचहाती मकरंद पर चिड़िया..!
पी रही रस आनंद से मस्ती मे है चूर...! 
प्रकृति ने देखो बिखेरी दी अपनी शोभा..!
चलो हम भी ले लें प्रकृति का आनंद भरपूर…!
**~सुप्रभात मित्रो~**
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो ....

गुरुवार, 7 मई 2015

अजब-गजब_


क्या आपने कभी देखा है, नारी शरीर के आकार का फूल 

हिमालय के  घनें जंगलें में मिलता है ऐसा पेड़
जिसके फूल नारी आकार में होते है ! ये फूल श्रीलंका में लियाथाबरा माला नाम से जाना जाता है, जिसकी 10 प्रजातियां है। वहीं, थाईलैंड में इस फूल के पौधे को नारीपोल कहा जाता है।2 दशकों यानी 20 साल में खिलने वाले इस फूल ने लोगों को पिछले दिनों हैरान कर दिया। इस फूल का आकार नारी के शरीर के आकार  में दिखा |

नारी शरीर के आकार में दिखने वाले इस फूल को लेकर खूब विवाद भी हुआ। इसे हकीकत नहीं मानने वालों का कहना है कि ये फूल किसी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है, जबकि इस हकीकत को मनाने वाले इसे सबसे ज्यादा दुर्लभ किस्म का फूल बताते हैं।

ऑर्किडासिये परिवार का ये फूल हाबेनरिया प्रजाति का है। हाबेनरिया की सभी प्रजातियों के फूल ट्यूबर युक्त स्थलीय ऑर्किड होते हैं।

हिमालय के इन घने जंगलों में मिलता है ऐसा पेड़ जिसके फूल होते हैं नारी के आकार के, देखिये ये अनोखी तसवीरें http://goo.gl/5ieZlc

http://goo.gl/vWcwD7 पर !

Rajasthan Patrika News Narilatha Flowers
rajasthanpatrika.patrika.com ·

शुभ * संध्या मित्रों_
अाने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो__ |

बुधवार, 6 मई 2015

चिंतन- मंथन_


एक नौजवान
झगड़ रहा है | अपनें माता-पिता से शायद उसके माता- पिता नें कोई अपराध किया हो वह कह रहा है | मुझे  जन्म  ही क्यों दिया  ? अगर दिया तो नौजवाँ ही क्यों किया ? गलादबा देना था पैदा होते ही ?

वह नौजवान अपनी  सारी मर्यादा लांध चिल्ला- चिल्ला कर गालीयाँ दे रहा है ! उसने अपनें कमरे से अहिंसा वादी गांधी जी की किताब, कार्ल मार्क्स  की  किताब, अर्थशास्त्र , समाज शास्त्र, राजनैतिक शास्त्र न जानें कितनें और शास्त्र की किताबें और प्रमाण पत्र,  कुछ कागज  जो अब उसके लिए निरर्थक  हैं  | बाहर निकाल लाया जो अब  जलने जा रहे हैं |

तमतमाये चेहरे और लरजते हाथों  से उसने आग लगा दी | दहकती लपटों में सारे  सिद्धान्त जलते देख वह प्रशन्न है |  जो इसे भद्र मनुष्य बनाने की शिक्षा देते हैं  क्योंकि वो शिक्षा है | ऐसी शिक्षा जिसके बल पर वह अपना और अपनें परिवार के  लिए दो वक्त की रोटी  न  ला सके  | क्योंकि वह अब  पढ़ा-लिखा बेरोजगार है |

अब  प्रश्न कि पढ़ा-लिखा कर उसके माता-पिता ने  आपराध किया है या आज की शिक्षा नीति को और प्रक्रियाओं को बदलनें की आवश्यकता है |

फंडा  की -  हमें ऐसी शिक्षा लेनी चाहीए जिसमें डिग्री भले न हो पर  खुद का व्यवसाय करनें का ज्ञान हो |

शुभ संध्या * मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……!

मंगलवार, 5 मई 2015

हे.....! मनमोहन .. ..,


पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
तोसे लागी   लगन मन कहीं हो न मगन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
कभी फोड़ी मटकी कभी करो  ठिठौली
अब बस भी करो  हे मेरे प्यारे मनमोहन
ये मुझे रास न आये  तेरा तुपके से मिलन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
हे कृष्ण तोसे मिलन की मेरी   मृगतृष्णा
कब   होगी  दुर बतओ मेरे मन की तृष्णा
हे कृष्ण मेरे मन की मिटा दो सारी तृष्णा
मेरे प्यारे मोहन और न सताओ मनमोहन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन .
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शुभ* संथ्या मित्रों_

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो....

सोमवार, 4 मई 2015

वो गाँव....

अब मुझे मेरा वो गाँव बहुत याद आता है बरगद कीवह  धनी  छाँव -वो चरती,/फिरती गउँवें वो  चहचहाती सुबह वो  गोधुली/रंभाती शाम न आदमीयों  भीड़  न ऊँचे  मकानों की कश्मकस आस/पास का वो खुला वातावरण बहुत याद आता है

जहाँ प्रेम की गंगा बहती थी रिश्तों में मधुरता होती थी हर गली मुहबोले  दादा/दादी ,नाना/नानी ,मामा/मामी,काका/काकी, भैया/भाबी, सखा /सहेली  से ठिठौली तो कभी मन से बातें  करना  अब वो रिश्तों का तानाबाना बहुत याद  आता है

वो हॉट बाजार परचून की दुकान स्कूल की घंटी
सुन पिठ पर बस्ता लादे स्कूल दौड़ कर पहुँचना
कभी पेट दर्द का बहाना बना के घर में ही रूकना मौका देख गली में पहुँच गिल्ली डंडा, कंचे लुका छिपी का वो खेल खेलना बहुत याद आता है

वो शादी/बारात में बैलगाड़ी पर बैठ कर जाना  पंगत में बैठ कर भोजन करना  तीज त्यौहारों  के आने पर बेहद खुश होना बनें  पकवानों पर आँख गड़ाये रखना  मौका मिलते ही सफाचट कर देना  और  माँ की डाँट खाना  अब बहुत याद अाता है

अब न वो जमाना रहा न ही वो बातें  अब आज  आधुनिकता से जिन्दगी बदरंग हो गई आगे बड़ने की दौड़ में  बहुत सी बातें /परंपरायें पिछे छूट गई
अब बची है तो वो  बीतीं यादें  बस उन्हीं   यादों को  याद कर-;करके  मन  मायुस सा हो जाता है
अब मुझे मेरा वो गाँव बहुत याद आता है....!!!
~~~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो....!!

रविवार, 3 मई 2015

सुप्रभात_


भोर हुई कब की मुर्गे ने भी बाँग लगाई..!
सुरज की लालीमा छाई आँसमा पर..!
मित्रो अब तो छोड़ो रजाई......!!

(((((((((( सु-प्रभात )))))))))
******मित्रवर********
आनें वाला "पल"  और  "कल" मंगलमय हो._

दिल-ए-अफसाना ~


जो दूरी थी /वो दुरीयाँ नहीं हैं
जो दूरीयाँ थी/ वो अधुरी नहीं हैं
जो अधुरी थी/ वो पूरी नहीं हैं
जो पूरी  थी/ वो चाहत नहीं हैं
जो चाहत थी / वो कशिश नहीं हैं
जो  कशिश थी/ वो  बयान नहीं हैं
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ * संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय  हो……

शुक्रवार, 1 मई 2015

नमन

शान्ति…

जिवन में शान्ति के लिए ..…
योग/ध्यान/आचरण/ और सत् कर्म अब कहाँ ?
ये बातें तो अब तस्विर  में ही दिखाई देती है ..? चलिए मन की शान्ति  के लिए तस्विर ही सही..?

सुप्रभात मित्रों..
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो...

गुरुवार, 30 अप्रैल 2015

सुप्रभात ़


वक्त के इस पहिये ने देखो ला दिया है फिर से शुक्रवार....! मुझको ऐतबार है कि आज मिलेगे

मुझे भुले- बिछड़े यार..! अरे..! अरे..! रुको-रुको भाई सतवीर...... तुम्हें सत् श्री आकाल.......!

रुको...रुको... भाई कलाम... तुम्हें भी सलाम..  ओफ्हो ....डेविड ब्रदर... गुड मार्निँग तो कर लो

यार..! अरे भाई रमन तुम मिल गये ....तुम्हें भी नमन...! अभी और मिलेगे मित्र गण उन्हे कहूँगा

सु-प्रभात...! हम सभी खुश रहे खिलता रहे अपना चमन..! हे.. भारत माता तुम्हे शत् शत्

नमन... वन्दे मातरम..! —
                 ~~~~~~ मनीष गौतम "मनु"
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो.....!!

प्यार..... ! इस युग का दुर्भाग्य.....?


प्यार - प्यार - प्यार  आखिर प्यार है क्या.?

जी  |  प्यार किसी रिश्ते जैसे -
माता- पिता/भाई-बहन /पति- पत्नी/ सभी प्रकार के नातेदार/रिश्तेदार /और इस कलयुग का सबसे प्रमुख रिश्ता "प्रेमी  जोड़ों" के बिच  "प्रेम |"

इन सभी रिश्तों के लिए  | दिल/दिमाग में पैदा होने वाली ,"चाहत" की वह कशिश या अधिरता या व्याकुलता या खलबली मचा देनें वाली एक "संवेदना या भावना हैं |" जिसे हम प्यार कहतें है 

"संवेदना या भावना" को रिश्तों के बिच में रिश्तों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार  से  हम व्यक्त करतें हैं ..

जैसे -चरण स्पर्श कर  /सर झुकाकर /सम्मान पूर्वक बोल कर  /हँस कर  / मंदममद मुस्कुराकर / स्पर्श कर/सिनें से लगाकर / गले से लगा कर / बाँहों में भर कर /  लिपटकर /  लिपटाकर /आँखों में आँखे डालकर / सहला कर / पुचकार कर/ चूमकर / सजसँवरकर /  व्यवहार कर / नाच कर / गा कर / ललचाकर / ईतराकर. /मटककर /खुशी और गम के आँसू टपका कर/राम-रामई ले  कर / नमन  कर/ शुक्रिया अदा कर / मिठी-मिठी बातें कर  आदि आदि ||

इन सभी प्यार के प्रकारों में --
चूमना/ पुचकारना /सहलाना/ मिठी- मिठी बातें करना / लिपटना/ लिपटाना/ ईतराना/मटकना/
सजना/सँवरना / बाँहों में भरना /बाँहों में समा जाना/ गले लगना/ गले लगाना/आंहें भरना आदि आदि !!  ऐसा प्यार.. आज  प्रेमि- जोड़ों  के बिच  थिरकता है मचलता है  !

मगर अफसोस .... बाकी रिश्तों के बिच आज दिखावे /और  बनावटी रूपि प्यार ने रिश्तों नातों के  बिच दरार और दुरीयाँ  बड़ा दी हैं ! जो इस कलयुग का एक दुर्भाग्य है.क्या मैने सच कहा .?
 आलेख  ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ*°* संध्या मित्रों....

आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो...!!

जी प्यार है... ..


जी प्यार  किसी रिश्ते जैसे -
माता- पिता ,भाई-बहन, पति- पत्नी, सभी प्रकार के  नातेदार- रिश्तेदार और अंत में सबसे प्रमुख " प्रेमी- प्रेमिका"   |

इन सभी रिश्तों   के प्रति  ---
दिल-दिमाग में  "चाहत"  की खलबली मचा देनें वाली एक "भावना या  संवेदना हैं | " 

 जिसे हम प्यार कहतें हैं  | जिसे हम रिश्तों के अनुरूप अलग-अलग तरिकों से  व्यक्त करतें है  |

जैसे -पैर छू कर /सर झुकाकर /सम्मान पूर्वक बोल कर /हँस कर /मुस्कुराकर/ छू कर/सिनें से लगाकर/ बाँहों में भर कर /आँखों में आँखे डालकर/ सहला कर / पुचकार कर/ चूमकर/ लिपटकर/  सज-सँवरकर/ व्यवहार कर / नाच कर /  गा कर / लचककर-झटककर-मटककर /खुशी और गम के आँशु बहाकर/राम-राम,नमन ,प्रणाम या  नमस्कार कह कर/ शुक्रिया अदा कर/मिठी-मिठी बातें कर/ जोर जोर से या मंदमंद मुस्कुराकर   आदि आदि ||   तरिकों से  हम अपनी संवेदना और भावना  व्यक्त करते हैं | जिसे हम प्यार कहते हैं  |

इन सभी प्यार के प्रकारों में --चूमना/ पुचकारना /सहलाना/ मिठी- मिठी बातें करना / लचकना- झटकना - मटकना/ सजना -सँवरना / बाँहों में बाँहें डालना / लिपटना  || ...

प्रेमि- प्रेमिका के बिच ज्यादा दिखाई देता है ||

I am Right Brother.?

…                ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

बुधवार, 29 अप्रैल 2015

आस और प्यास ____\\__माँ

ओ मेरी आँखो का तारा है.!
मेरा राज - दुलारा है.!!

वो दुर रहे तो मेरी हँसी मुरझा जाती.!
वो पास रहे तो  मैं  प्यासी रह जाती.!!

उसके पास मेरे लिए वक्त नहीं .!
ये सोच कर दिल उदास है..!!

पर वो मेरे बुढ़ापे की 'आश' है.!
इसीलिए वो मेरा 'खास' है...!!

~~~~~ >मनीष गौतम "मनु"

सुप्रभात  *मितों~

आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो...!!!

जवाब

छाया चित्र पर मेरा .....
*****मेरा जवाब***** 

ओ मेरी आँखो का तारा है.!
मेरा राज - दुलारा है.!!

वो दुर रहे तो मेरी हँसी मुरझा जाती.!
वो पास रहे तो मैँ प्यासी रह जाती.!!

उसके पास मेरे लिए वक्त नहीँ..!
ये सोच कर दिल उदास है..!!

पर वो मेरे बुढ़ापे की 'आश' है.!
इसीलिए वो मेरा 'खास' है...!!

~~~~~ >मनीष गौतम "मनु"

सोमवार, 27 अप्रैल 2015

किसान

किसान के लिए जीना-मरना एक समान , उगाई दाल सब उसी की खाते है और मौका देख सब के सब उसी के सिनें में दाल मूंगने लगते हैं  ?

मुझे लगता है -किसान की जिन्दगी से जब ऊपर वाला ही खेलता है ? तो निचे वाले कब बकसनें वालें ? तैयार रहतें हैं  !

"जख्मों पर कॉटों की नोंक से मलहम लगानें  !"

किसान भी तो पृथ्वी का सबसे बड़ा " जुआरी" है उसे तो दॉव खेलना ही पड़ता है | चौपड़ लगाना ही पड़ता है | और हार जीत का सामना भी खुद ही करना पड़ता है  | क्योंकि वो -

"खिलाड़ी". नहीं  " जुआरी" है. |"

( जुआरी- प्रकृती के साथ अपनी मेहनत की फसल  दॉव लगानें वाला अर्थात प्रकृती नें साथ दिया तो किसान " आबाद" प्राकृतिक विपदा आयी तो "बर्बाद. !" )

किसान संबंधित जितनें मसले हुऐ हैं | हो रहें हैं | आगे भी होंगे | सभी मसले राजनैतिक फायदे के लिए हैं | अगर कुछ मिला भी है  | तो वो है -

"मौत" या फिर "लॉलीपॉप"

या इससे ज्यादा कुछ मिला भी तो कह सकते हैं |

"आईसक्रिम रूपी राहत राशि " 

आनंद चंद मिनट का, ज्यादा देर साथ दे सकती  न पेट भर सकती |

किसान की पूर्ती कोई कर सकता ही नहीं , गर करे भी तो कहां से ? किसान के बिना कुछ हो सकता भी नहीं .! अत: किसान अपनी  "आन -  बान - शान "  बनानें का खुद ही मालिक है   |

फंड़ा की __\\__ "बिना मरे सरग नहीं मिलता"

____\\____\\___\ _ __/\_ जय किसान _/\_

.आलेख ~
.                        ~~~~> मनीष गौतम   "मनु"

जै श्री कृष्णा....

हे कृष्णा जै कृष्णा हे कृष्णा जै कृष्णा हे कृष्णा
जय जय श्री कृष्णा मन की मिटा दे सारी तृष्णा

सुप्रभात * मित्रों
आने वाला " पल" और " कल" मंगलमय हो..

हे शिव शंकर शंभू...

हे. ! भोले भण्डारी हे..! भाल चन्द्रधारी
डमरू की ताल  पर नृत्य   करके भारी

दिखा ही  दिया तूने  अपनी  चमत्कारी
हे ...!  क्रोधेश्वर   हे ..   !  निलकंठेश्वर

दुनियाँ  डरी  सहमी  है     हे   रूद्रधारी
अब न दिखाओ कोई अपनी चमत्कारी

हे मेरे भोले शंकर हे मेरे भोले भण्डारी
दीजिए हमको अभयदान हे  क्षमाकारी

हे .! भोले भण्डारी हे .!  भाल  चन्द्रधारी
ऊँ नम: शिवाय ~*°*~ ऊँ  नम: शिवाय

उमापति महादेव की जै *  हर हर महादेव
हर भोला...!   हर हर. ....!!   महादेव....!!!

़      ~~~~~~> मनीष गौतम  "मनु"

शुभ*संध्या मित्रों

आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो
_/\_ राम राम  जी _/\_

धिरज रखो😊

मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति..

जनाब क्या कहा ? आपकी "आशा" ऱूठ गई .? ओफ् हो ! जरूर उसकी बहन.... "निराशा" का ही कमाल होंगा .? आपको भटकाने का .?

सुनीये जनाब ..मेरा एक मित्र है "धिरज" उससे भी मिल कर देखिये | यकिनन आपको "शान्ति " जरूर मिलेगी |  और बिना बताये एक और मित्र "आनंद" भी आपसे मैत्री कर ही  लेगा |अब जाने भी  दो भाई | ज्यादा मायुसी और एकाकी पन इंसान  को  पागल, नकारा बना देता है | इसीलिए गुज़ारिश है |आपसे कोई मिले न मिले .... मै  "मनु"  हूँ न ... जब चाहो , जहां चाहो,  आपकी परेशानी हल करने | आपसे मिल बैठ दिल 💕की बातें करने कहीं भी मिल ही  जाऊंगा .||

इसीलिए धैर्य रखे अपनें आप को दु:खी न करें !
_________\\_____वादे के साथ नमस्कार
      -
           आलेख  ------------> मनीष गौतम "मनु"

दिनांक------ 17/11/2017

ये तस्विर बहुत कुछ कहती है ..


ये तस्विर मौंन हो कर भी  बहुत कुछ कहती है
चलती न फरती फिर भी संग हमारे ही रहती है

देती हमें  फल /फूल /छाँव/ प्राण /वायु  /मगर
बदले  हमारे पत्थर से ही चोटील होते रहती है

सर्ववस्व निछावर कर दिया सारा जीवन अपना 
बेईज्जत ही हुई /बेकल ही हुई /बेगाना ही हुई 

लुटती रही /मिटती  रही /कभी  उफ्फ न  कही
बाहें पसारे मौन हो कर सब दर्दों को ये सहती है

ये तस्विर मौंन होकर भी बहुत कुछ कहती  है 
चलती न फिरती फिर भी संग हमारे ही रहती है

ये तस्विर मौंन होकर भी बहुत कुछ कहती  है

मगर अफ्शोस मानव ने इसका दोहन ही किया
सँवरे चमन को अब तिल-तिल उजाड़ ही दिया 

जान कर अंजान बनाअपनें दर्द का प्रमाण बना
पर अब भी बहुत कुछ है  जीवन सँवरेगा अपना

स्वार्थपन से परे हो जाओ सब  चैतन्य हो जाओ
़़़़़़़़देखो / समझो/ सुनों / ़़़़़़
ये तस्विर मौंन हो कर भी बहुत कुछ कहती है ..!!

                  .~~~~> मनीष गौतम " मनु"

शुभ *संध्या मित्रों..

आनें वाला  "पल"  और  "कल"  मंगलमय हो.....!!

रविवार, 26 अप्रैल 2015

.         *°*उमापति महादेव की जै*°*
.            _/\_हर हर महादेव  _/\_

हे कृपा निधान  हे दया निधान किजै सब की रक्षा हो जन- जन का कल्याण.जै जै जै शंकर शंभू~

सुप्रभात मित्रों
आनें वाला "पल" और  "कल" मंगलमय हो....

आत्मिक आभार


पहला नमन उस रब को जिसने मुझे बनाया है...!

दूजा नमन माता-पिता को जिन्होने मुझे पैदा किया और ये जहाँ दिखलाया है..!

तीसरा नमन गुरु को जिसने मुझे ज्ञान दे कर मेरा मान बढ़ाया है..!

और चौथा नमन उन साथीयो को जो फेसबुक मित्र बनाकर मुझसे आत्मिक लगाव लगाया है..!!
                  
़                       ~~~~> मनीष गौतम "मनु"
*आत्मिकता के साथ सुप्रभात मित्रो*

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो.....

संवेदना.

दु:खद संध्या मित्रों..|
भारत-नेपाल में प्रकृतिक विपदा नें जन-धन
की हानि के साथ एक डर भी पैदा किया है |

ईश्वर से प्रर्थना की -उन सभी डरी/ सहमी /असहाय /जनता  की- रक्षा करे ! उन्हें इस
दु:खद  घड़ी  से  शिघ्र उबारे ...!
हे....!  ईश्वर... !!
आनें वाला  "पल" और "कल" मंगलमय हो...
़                                     !! ऊँ शान्ति ऊँ !!

मैं नहीं .. लोग ये कहते..! बाजार बनकर बैठी है ...!!!


़         दोष न दो निर्दोश है ये तो
़  समाज के लिए जींती हैं और मरतीं है

़          नारी एक और रिश्ते अनेंक
रिश्तों के ताने-बानें में उलझती कभी सुलझती हैं

इसे लाचार कहें या इसकी आवश्कता .!
़               या /फिर/क्या....
मानव  हवस  की प्यास बुझानें बैठीं  है.??

अंश तो इनमें नारायणी का भी होता .!
़               या/फिर/क्या....
अपने धर्म को बद्नाम करने बैठी हैं .??

मानव समाज का है ये इक कालिख धंधा !
़               या/ फिर/क्या....
अपनें बच्चे के पोषण-आहार के लिए बैठी हैं.??

नारी गले में होती एक काले सूत की माला !
़               या/फिर/क्या....
माला नहीं तो अनाधिकार रूप से बैठीं हैं.??

नारी धूरी और रिश्तों की सेतु कहलाती !
़               या/फिर/क्या....
अपनें रिश्तों का  तिरस्कार करनें बैठी है.??

समाज ने अच्छा नाम दिया न काम दिया !
़               या/ फिर/क्या....
यहाँ बहिस्कृत और तिरस्कृत हो कर बैठी है.??

नारी अनुपम /रूप अनेंकम/ नाम अनेंकम ...
  
.   !!सामाज ने जो "बाजारु" नाम दिया!!
़                         //और//
.   !!बिकाऊ संबंध  बनानें  बाध्य किया!!
शायद उस नाम /ऱिश्तों को ही निभानें बैठीं हैं .?

ं   !!*!!नारी का हम  सब सम्मान करें !!*!!
!!*!!अच्छे  रिश्ते के अनुरूप व्यवहार करें !!*!!

़                      ~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शनिवार, 25 अप्रैल 2015

संवेदना


कल की हृदय-विदारक घटना से दु:खी परिवारों के प्रति संवेदना |  हे ईश्वर हम मानव को क्षमा कीजिए हम पर दया  कीजिए .!!

मित्रों दु:ख की घड़ी आन पड़ी ___\\____\\__
____\\____\\___ चलो जुड़ जायें कड़ी से कड़ी
सुप्रभात मित्रों ,
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हों....!!

आज-भूकंप की फटकार...??


भूकंप के झटके..!
जाँ गले में  आ अटके .!!
प्रकृति से होंगी खिलवाड़.!
यूँ ही पड़ते रहेंगी फटकार.!!
गर प्रकृति का होता रहेंगा शोषण.!
भूकंप का भी होंगा  इक दिन प्रमोशन.!!
जब पानी सिर के ऊपर से ही चलाजायेगा .!
फिर  सोच लीजिए जलजला ही आ जायेगा.!!
प्रकृति का करें हम  सभी हर दम मान सम्मान .!
तब  ही  पृथ्वी पर  होंगा जन जन  का कल्याण!!!

आज दु:ख की घड़ी आन पड़ी__\\_____\\___

___\\_____\\__ चलो मिल जायें कड़ी से कड़ी
                      
.                 ~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ*संध्या मित्रों

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो.....!!!