ये फूल
मुस्कुराने की देते हमें अदा
घिरे रहते कांटों के बीच
मगर खिलते रहते सदा
कभी जमी पर रौंदे जाते
कभी दुल्हन के जुड़े में इतराते
कभी प्रभु माथे शोभा बड़ाते
कभी शहिदों की चीता पर
गड़ते गौरव की कथा
मेरे अंगना सदा फूल बरसे
"मनु" मन सुमन सुमन हो ज़ाये
और फलों की अदाओ पर
मैं इतराऊँ सदा
~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
७/०२/२०१६
शुभ संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो......
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें