शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

आतंकवाद और आरक्षण

हे ...विधाता... हे ....विभूति ...
भारत. मां के सर अब

ये कैसी आफत आकर फूटी
आतंकवाद का कहर यहाँ

पहले से ही बिफरा पड़ा है
अब आरक्षण का तांडव भी

शैने शैने आतंकवाद
की राह पकड़ रहा है

दोनों के मकसद है अलग-अलग
मगर रणनीति दिखती एक सी

आतंकवादी गोली से करते सीना छलनी
तो दूजे खेल रहे खूनी शोलों की होली

आरक्षण का दर्द अब
सुई से तलवार हो गया है !

मुझे तो लगता है आरक्षण अब
आतंकवाद का "पर्याय" हो गया है ?

आरक्षण की हो रही हरकतो को देख
आतंकवाद भी फूला नहीं समाता होगा ?

आरक्षण से "आतंकवाद" जैसा
मातम छा ही रहा है ?

यह देख-देख आतंकवाद
खुशीयों के गीत गाता होंगा ?

अब देश का दुर्भाग्य ही कहें की
इन्हें दुरुस्त करने वाला

कोई "जाॅबाज" "होनहार" नहीं
मरते हो तो मर जाएं सब !

आतंकवाद और आरक्षण का
"काम तमाम" करने वाला

देश में अब कोई "ठेकेदार" नहीं ॥

~~~~~~>>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक - 20/02/2016

शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ...

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