सोमवार, 15 फ़रवरी 2016

बाल मन-

क्या हंसना मना है ?
क्या हंसना गुनाह है ?
हम तो हर पल  हरफनमौला !
हम न जाने क्या जीना है क्या मरना है !!
"किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार जीना इसी का नाम है........!"
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल'और 'कल' मंगलमयी  हो ..!!

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