गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

अहम_

हम कहते हैं_"जान थी वो मेरी" !

और जान तो एक दिन चली ही जाती है ! फिर क्या तेरा क्या मेरा ! सब "धरा" पर "धरा" रह जायेगा ! रे "मनु" तू सब संग जी  भर  कर जी ले  हर दिन आता  है इक नया सवेरा....सुप्रभात मित्रों_

आने वाला "पल" और "कल" मंगलमयी हो...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें