शनिवार, 27 फ़रवरी 2016

मक्कार गरीब-

इस जहाँ में भला कौन गरीब हैं । यक़ीनन कोई नहीं । अपितु  रात-दिन मेहनत करने की बजाय आलसी  और "मक्कारीपन" करने से गरीबी आती है । बच्चे पैदा करना जायज़ समझा जाता है । लेकिन  मेहनत करके खाना  शायद उनके हद के बाहर हो जाता है । ऐसे मक्कार गरीब सड़कों मंदिरों, गली कूचों, चौराहे, यहाँ - वहाँ, कटोरा लिए  अपने मासूम  बच्चों के साथ  रोटी के लिए हाथ फैलाये देखे जा सकते  हैं । बच्चे युवा अवस्था  तक यही करते रहे  तो समझें एक और  मक्कार गरीब का जन्म हो गया ।
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमय हो...

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