सोमवार, 11 मई 2015

दादा गीरी


बात समझ नहीं आयी तो सुन ले जनता
भाड़ में जाये संता-बंता और  भगवंता

अपनी सब काम लाठी से ही है बनता
बस मुंछ पर ताव  और लाठी जब हमने

यूँ गोल गोल हवा में लहराई तो सुन लो
जो चिज हमनें चाही वो मुठ्ठी में आ जाई

अपनी लाठी हरदम ही रहती  है प्यासी
जिस पर भी चलती प्यास बुझा ही जाती

जब सारा काम लाठी से ही है बनता तो
भाड़ में जाये नियम कानून और जनता

नेकी का नहीं लिया हमने कोई ठेका सेठ
बस हमरी चल गई लाठी हमरी  ही  है भैंस
~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……

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