ये रोज - रोज की घटना…!
कभी भूकंप  कभी बाड़ कभी सूखा कभी आग कभी सड़क  कभी रेल तो कभी हवाई दुर्घटना
कहीं मौत कहीं चिख कहीं भूख  कहीं प्यास 
कहीं लालच कहीं लाचारी कहींबेरहम दुनियादारी
ये मानव मन दहल गया न रचो ऐसी रचना भारी 
हे…! किसन मुरारी … हे… ! किसन मुरारी……!!!!
शुभ*संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……
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