रविवार, 3 मई 2015

दिल-ए-अफसाना ~


जो दूरी थी /वो दुरीयाँ नहीं हैं
जो दूरीयाँ थी/ वो अधुरी नहीं हैं
जो अधुरी थी/ वो पूरी नहीं हैं
जो पूरी  थी/ वो चाहत नहीं हैं
जो चाहत थी / वो कशिश नहीं हैं
जो  कशिश थी/ वो  बयान नहीं हैं
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"

शुभ * संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय  हो……

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