अभिव्यक्ति की ज्यादाती पर "कानुन"
सजा न दें पर प्रकृती और जिन्दगी का
"बकसना" मुश्किल ही नहीं नामुमकिनहै. ! अत: आजादी में शिष्टाचार आवश्यक है !!
____________सुप्रभात मित्रों शुभ दिवस
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