शुक्रवार, 13 मार्च 2015

~~~~~~गुलबदन~~~~~~

प्यार को गुलबदन न समझो....!
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प्यार को गुलबदन न समझो....! 

प्यार को प्यार रहने दो....!

 प्यार एहसास है /प्यार ममता है /प्यार दुलार है...!

प्यार दो दिलो के मिलन का साझेदार है....!

प्यार जीवन की नैया का पतवार है....!

बिन पतवार नैया बेकार है...!

अब प्यार के नाम पर.....

फूहड़पन/व्याभिचार बड़ा/

प्यार बदनाम हो गया/रिश्तो में दरार है....!

रिश्तों के अनुरुप प्यार करना हम सिखें....! 

फिर न इन्कार है /न मलाल है / न इन्तजार है/

केवल फिर- इजहार है /करार है /प्यारही प्यार है ......

~~~~~~> मनीष कुमार गौतम 'मनु'
१३/०३/३०१५

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