प्यार को गुलबदन न समझो....!
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प्यार को गुलबदन न समझो....!
प्यार को प्यार रहने दो....!
प्यार एहसास है /प्यार ममता है /प्यार दुलार है...!
प्यार दो दिलो के मिलन का साझेदार है....!
प्यार जीवन की नैया का पतवार है....!
बिन पतवार नैया बेकार है...!
अब प्यार के नाम पर.....
फूहड़पन/व्याभिचार बड़ा/
प्यार बदनाम हो गया/रिश्तो में दरार है....!
रिश्तों के अनुरुप प्यार करना हम सिखें....!
फिर न इन्कार है /न मलाल है / न इन्तजार है/
केवल फिर- इजहार है /करार है /प्यारही प्यार है ......
~~~~~~> मनीष कुमार गौतम 'मनु'
१३/०३/३०१५
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