हुई शाम आपका  खयाल आ गया.
शुभ संध्या मित्रों 
आने वाला "पल"  और  "कल"  मंगलमय हो……
दोस्तों आज शनिवार है | सुबह-सुबह यदि चाय और चाहत इस अंदाज में मिले तो सोच लें सारा दिन  बेहाल है ...?
सुप्रभात मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……
एक नोटिस ने बेचारे कलेक्टर महोदय को
" हीरो से जीरो " बना दिया .?
बुजुर्गों ने सच ही कहा है हमें अपना:-
ऱहन- सहन ,खान-पान, व्यवहार और पहनावे का "आचरण" -  माहौल/मौसम , समय/ परिस्थिति के अनुसार करना चाहीए  |
ये है | बस्तर जिले के कलेक्टर जो नींली शर्ट और काले रंग का चश्मा पहने, जो मोदी जी का आगमन पर अगवानी कर रहे थे । इनकी पोशाक को देख कर ऐसा लगता है जैसे किसी शादी समारोह में आये है । 
जो सेवा आचार सहिता के विपरीत थी । 
अब इन्हे राज्यपाल द्वारा नोटीस मिला है ।
शुभ* संध्या मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……
मेरी  जुड़वाँ  बेटीयाँ 
कु. स्तुति गौतम \\!//  कु.स्नेही गौतम
10th M.P. बोर्ड  परीक्षा में  दोनों 
द्वितीत श्रेणी से उत्तीर्ण ~
*बधाई*बधाई*बधाई*बधाई*बधाई*बधाई
शुभ * संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……!!
उजाले के आगे भला अँधेरा कब ठहर पाया है..!
ज्ञान ने मानव को सदा बलवंत बनाया है ..! 
मगर सभी बातें धरी रह जाती है..! 
जब  पेट में रोटी न हो..!  तो क्या करें ...?
बिना काम के रोटी भी नही मिलती..!  
आओ कोई काम तलाशें मेरे  बेरोजगार मित्रो..! 
नई आशाओं का सूरज फिर  निकल आया है..!
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
(((((((((( सु-प्रभात  मित्रों)))))))))
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो …
ये रोज - रोज की घटना…!
कभी भूकंप  कभी बाड़ कभी सूखा कभी आग कभी सड़क  कभी रेल तो कभी हवाई दुर्घटना
कहीं मौत कहीं चिख कहीं भूख  कहीं प्यास 
कहीं लालच कहीं लाचारी कहींबेरहम दुनियादारी
ये मानव मन दहल गया न रचो ऐसी रचना भारी 
हे…! किसन मुरारी … हे… ! किसन मुरारी……!!!!
शुभ*संध्या मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……
बात समझ नहीं आयी तो सुन ले जनता
भाड़ में जाये संता-बंता और  भगवंता
अपनी सब काम लाठी से ही है बनता 
बस मुंछ पर ताव  और लाठी जब हमने
यूँ गोल गोल हवा में लहराई तो सुन लो 
जो चिज हमनें चाही वो मुठ्ठी में आ जाई 
अपनी लाठी हरदम ही रहती  है प्यासी 
जिस पर भी चलती प्यास बुझा ही जाती
 जब सारा काम लाठी से ही है बनता तो
भाड़ में जाये नियम कानून और जनता 
नेकी का नहीं लिया हमने कोई ठेका सेठ
बस हमरी चल गई लाठी हमरी  ही  है भैंस 
~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……
करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। 
रसरी आवत जात तें,  सिल पर परत निसान।। 
भावार्थ :-बार -बार रगड़ खाने से पत्थर पर भी निशान बन जाते हैं। ठीक इसी प्रकार बार -बार अभ्यास करने से मंद बुद्धि /मूर्ख व्यक्ति भी कई नई बातें सीख कर उनका जानकार हो जाता है।
मगर अफसोस मूर्ख तो मूर्ख कुछ समझदार भी देखनें में आया है मूर्खों जैसी हरकत कर ही लेते है ! मेरा मतलब बार- बार बतलाया जाता है और तो और लिखा भी होता है कि :- यहाँ पेशाब करना मना है | थूकना मना है | धुम्रपान करना मना है |फिर भी अंदेखी और गलती की जाती है |
इस बात का नजारा  सार्वजनिक शौचालयो , अस्पताल की दिवारों , अन्य सामाजिक स्थलों में असानी से मजबूरी वस  देखनें  मिल ही जाता है ! रेल और अस्पताल  के शौचालयों का नजारा अफशोस जनक   होता है ! पान - तम्बाकु के पिक और  गंदे- भद्दे चित्रों  के  साथ मोबाईल  नम्बर  भी लिखे होते हैं | इस तरह की हरकत बुरी मानसिकता का परिचायक है |
मिलता कुछ नहीं !  बल्कि हमारे मिशन :-
" स्वच्छ भारत- स्वथ्य भारत" के लिये बाघक हैं |
ये बाधा कभी बहाल हो न हो पर जब हम स्वयं उक्त स्थलों पर जायें उन मूर्खों की तरह हमारा व्यवहार न हो इस बात का हम ध्यान जरूर रखें  |
आलेख ~~~~~~>मनीष गौतम "मनु"
शुभ* संध्या मित्रों
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो …
 उमापति महादेव की जय 
जय जय शिव शंकर काँटा लगे न कंकर
ऊँ नम: शिवाय ऊँ नम: शिवाय ऊँ नम: शिवाय 
सुप्रभात  * मित्रों_
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……
खिलखिलाते रस भरे फूल..! 
चहचहाती मकरंद पर चिड़िया..! 
पी रही रस आनंद से मस्ती मे है चूर...!  
प्रकृति ने देखो बिखेरी दी अपनी शोभा..!
चलो हम भी ले लें प्रकृति का आनंद भरपूर…! 
**~सुप्रभात मित्रो~**
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो ....
क्या आपने कभी देखा है, नारी शरीर के आकार का फूल  
हिमालय के  घनें जंगलें में मिलता है ऐसा पेड़ 
जिसके फूल नारी आकार में होते है ! ये फूल श्रीलंका में लियाथाबरा माला नाम से जाना जाता है, जिसकी 10 प्रजातियां है। वहीं, थाईलैंड में इस फूल के पौधे को नारीपोल कहा जाता है।2 दशकों यानी 20 साल में खिलने वाले इस फूल ने लोगों को पिछले दिनों हैरान कर दिया। इस फूल का आकार नारी के शरीर के आकार  में दिखा |
नारी शरीर के आकार में दिखने वाले इस फूल को लेकर खूब विवाद भी हुआ। इसे हकीकत नहीं मानने वालों का कहना है कि ये फूल किसी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया गया है, जबकि इस हकीकत को मनाने वाले इसे सबसे ज्यादा दुर्लभ किस्म का फूल बताते हैं।
ऑर्किडासिये परिवार का ये फूल हाबेनरिया प्रजाति का है। हाबेनरिया की सभी प्रजातियों के फूल ट्यूबर युक्त स्थलीय ऑर्किड होते हैं।
हिमालय के इन घने जंगलों में मिलता है ऐसा पेड़ जिसके फूल होते हैं नारी के आकार के, देखिये ये अनोखी तसवीरें http://goo.gl/5ieZlc
http://goo.gl/vWcwD7 पर !
Rajasthan Patrika News Narilatha Flowers
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शुभ * संध्या मित्रों_
अाने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो__ |
एक नौजवान 
झगड़ रहा है | अपनें माता-पिता से शायद उसके माता- पिता नें कोई अपराध किया हो वह कह रहा है | मुझे  जन्म  ही क्यों दिया  ? अगर दिया तो नौजवाँ ही क्यों किया ? गलादबा देना था पैदा होते ही ? 
वह नौजवान अपनी सारी मर्यादा लांध चिल्ला- चिल्ला कर गालीयाँ दे रहा है ! उसने अपनें कमरे से अहिंसा वादी गांधी जी की किताब, कार्ल मार्क्स की किताब, अर्थशास्त्र , समाज शास्त्र, राजनैतिक शास्त्र न जानें कितनें और शास्त्र की किताबें और प्रमाण पत्र, कुछ कागज जो अब उसके लिए निरर्थक हैं | बाहर निकाल लाया जो अब जलने जा रहे हैं |
तमतमाये चेहरे और लरजते हाथों से उसने आग लगा दी | दहकती लपटों में सारे सिद्धान्त जलते देख वह प्रशन्न है | जो इसे भद्र मनुष्य बनाने की शिक्षा देते हैं क्योंकि वो शिक्षा है | ऐसी शिक्षा जिसके बल पर वह अपना और अपनें परिवार के लिए दो वक्त की रोटी न ला सके | क्योंकि वह अब पढ़ा-लिखा बेरोजगार है |
अब प्रश्न कि पढ़ा-लिखा कर उसके माता-पिता ने आपराध किया है या आज की शिक्षा नीति को और प्रक्रियाओं को बदलनें की आवश्यकता है |
फंडा की - हमें ऐसी शिक्षा लेनी चाहीए जिसमें डिग्री भले न हो पर खुद का व्यवसाय करनें का ज्ञान हो |
शुभ संध्या * मित्रों 
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो……!
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन 
तोसे लागी   लगन मन कहीं हो न मगन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन 
कभी फोड़ी मटकी कभी करो  ठिठौली
अब बस भी करो  हे मेरे प्यारे मनमोहन
ये मुझे रास न आये  तेरा तुपके से मिलन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन
हे कृष्ण तोसे मिलन की मेरी   मृगतृष्णा
कब   होगी  दुर बतओ मेरे मन की तृष्णा
हे कृष्ण मेरे मन की मिटा दो सारी तृष्णा
मेरे प्यारे मोहन और न सताओ मनमोहन
पनघट पे चलो श्याम आज पनीया भरन .
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शुभ* संथ्या मित्रों_
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो....
अब मुझे मेरा वो गाँव बहुत याद आता है बरगद कीवह धनी छाँव -वो चरती,/फिरती गउँवें वो चहचहाती सुबह वो गोधुली/रंभाती शाम न आदमीयों भीड़ न ऊँचे मकानों की कश्मकस आस/पास का वो खुला वातावरण बहुत याद आता है
जहाँ प्रेम की गंगा बहती थी रिश्तों में मधुरता होती थी हर गली मुहबोले दादा/दादी ,नाना/नानी ,मामा/मामी,काका/काकी, भैया/भाबी, सखा /सहेली से ठिठौली तो कभी मन से बातें करना अब वो रिश्तों का तानाबाना बहुत याद आता है
वो हॉट बाजार परचून की दुकान स्कूल की घंटी 
सुन पिठ पर बस्ता लादे स्कूल दौड़ कर पहुँचना 
कभी पेट दर्द का बहाना बना के घर में ही रूकना मौका देख गली में पहुँच गिल्ली डंडा, कंचे लुका छिपी का वो खेल खेलना बहुत याद आता है 
वो शादी/बारात में बैलगाड़ी पर बैठ कर जाना पंगत में बैठ कर भोजन करना तीज त्यौहारों के आने पर बेहद खुश होना बनें पकवानों पर आँख गड़ाये रखना मौका मिलते ही सफाचट कर देना और माँ की डाँट खाना अब बहुत याद अाता है
अब न वो जमाना रहा न ही वो बातें  अब आज  आधुनिकता से जिन्दगी बदरंग हो गई आगे बड़ने की दौड़ में  बहुत सी बातें /परंपरायें पिछे छूट गई
अब बची है तो वो  बीतीं यादें  बस उन्हीं   यादों को  याद कर-;करके  मन  मायुस सा हो जाता है 
अब मुझे मेरा वो गाँव बहुत याद आता है....!!!
~~~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो....!!
भोर हुई कब की मुर्गे ने भी बाँग लगाई..!
सुरज की लालीमा छाई आँसमा पर..! 
मित्रो अब तो छोड़ो रजाई......!!
(((((((((( सु-प्रभात )))))))))
******मित्रवर********
आनें वाला "पल"  और  "कल" मंगलमय हो._
जो दूरी थी /वो दुरीयाँ नहीं हैं
जो दूरीयाँ थी/ वो अधुरी नहीं हैं
जो अधुरी थी/ वो पूरी नहीं हैं 
जो पूरी  थी/ वो चाहत नहीं हैं
जो चाहत थी / वो कशिश नहीं हैं
जो  कशिश थी/ वो  बयान नहीं हैं
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शुभ * संध्या मित्रों 
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय  हो…… 
शान्ति…
जिवन में शान्ति के लिए ..…
योग/ध्यान/आचरण/ और सत् कर्म अब कहाँ ?
ये बातें तो अब तस्विर  में ही दिखाई देती है ..? चलिए मन की शान्ति  के लिए तस्विर ही सही..?
सुप्रभात मित्रों..
आने वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो...