ये मुस्कुराती जिन्दगी ।
और चाहते बेपनाह है ॥
दिल ज़िन्दादिल है ।
दर्द के लिए समय कहाँ है ॥
जिन्दगी यूँ ही गुजर जाती ।
धरती मेराघर छत आसमांहै॥
अब कल की किसे खबर ।
जीना कहाँ मरना कहाँ हैं ॥
~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
सुप्रभात मित्रों -
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो....
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