ये फूलों की खूबसूरती,
मदमस्त महक ताजा ॥
मन को मिली ऊर्जा
मै हो गया तरोताजा ॥
हूँ एक देहाड़ी मजदूर
अब आज काम करूँगा ॥
और जादा और जादा ......
~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
मंगलमयी दिवस की शुभकामनाओं के साथ सुप्रभात द
ये फूलों की खूबसूरती,
मदमस्त महक ताजा ॥
मन को मिली ऊर्जा
मै हो गया तरोताजा ॥
हूँ एक देहाड़ी मजदूर
अब आज काम करूँगा ॥
और जादा और जादा ......
~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
मंगलमयी दिवस की शुभकामनाओं के साथ सुप्रभात द
मेहनतकश मजदूर हूँ मैं
मै मग़रूर नहीं मजबूर नहीं ।
जीवन मेरा है सिधा-साधा
शान ए शौकत की फुरसत नहीं
आदत मेरी बस मेहनत करना
धूप-छाँव की परवाह ही नहीं
कभी दबता कभी दबाया गया
पर दम अबतक निकला ही नहीं
तराशे सैकड़ों पत्थरों को मैने पर
निजी जीवन कोई सुन्दरता नहीं
दुनिया में है कई जातियाँ धर्म पर
मेरा तो बस कर्म ही है जाति धर्म नहीं
सदियों से रहा हूँ मै नीवं का पत्थर
मै हूँ कर्मकार प्रर्दशन मेरा कर्म नहीं
--------> मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक 01/05/2017