ये हुँ’कार साकार होना चाहिए...!
बिखरों को आकार लेना चाहिए ...!
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अब अभिनव सवेरा होना चाहिए...!
.लेकिन ये सब करे कौन ....?
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हे...! 'जना'...! तूझे ही कहते हैँ
"जनता-जनार्धन". .!
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अब नियति का है आह्वान :-
तू 'नरसिँह' बन,
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तेरे ही हाथों पापीयो का
"नरसंहार" होना चाहिए...!
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ये हुँ’कार साकार होना चाहिए..!
अब अभिनव सवेरा होना चाहिए...!!
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***!!जय हिन्द भारत माता की जय !!***
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~~~>मनीष गौतम 'मनु'
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो
शुक्रवार, 25 मार्च 2016
आह्वान-
गुरुवार, 17 मार्च 2016
जननी जन्म भूमि ..... ।
जो माँ को माँ न कहे उसको तो धिक्कार है ।
ऐसी सोच रखनेवाले दुर्जन नीच है मक्कार है॥
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प्रेम से बोलो !!*!! भरत माता की जय !!*!!
हंसते बोलो !!*!!भरत माता की जय !!*!!
गाके बोलो !!*!! भारत माता की जय !!*!!
आते बोलो!!*!!भारत माता की जय। !!*!!
जाते बोलो !!*!! भारत माता की जय !!*!!
सब मिल बोलो !!**!!भारत माता की जय !!**!!
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पुष्प की अभिलाषा -माखन लाल चतुर्वेदी
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चाह नहीं मैं सुरबाला के
. गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में
. बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
. पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
. चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
. उस पथ पर देना तुम फेक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
. जिस पथ जावें वीर अनेक।।
!!*!! भारत माता की जय !!*!!
मंगलवार, 15 मार्च 2016
मालिया, माल लिया निकल लिया
बे मौसम बारिश ने किया सब छिन्न भिन्न
फसलें हुई चौपट किसानों का हुआ बंटाधार
अपनें भी जीवन में रंग नहीं ।जंग ही जंग है
आय है कम एक कच्चा घर जो बदरंग है ।
कूद कूद कर वानर सेना ने अतंक मचा दिया
और घर की कच्ची छत का कचूम्बर बना दिया
अब घर के अंदर हर तरफ पानी टपकता है
मजबूरी है कमरे में छतरी तान रहना पड़ता है ।
एक दिन श्रीमती ने कहा ऐसा कब तक चलेगा अजी कच्ची छत पक्की क्यों नहीं करवा लेते ।
अरे बैंक से लोन ले लेकर लोग मालीया हो गये कमोबेश तुम पक्के घर के मालिक बन जाओ ।
हमने भी पत्नी के दिये गणित को हल किया और सवाल झट हल पत्नी को आवाज लगाया ।
अरी सुनती हो तुम्हारी बैंक लोन की नसीहत
सर-आँखों पर जो अपने लिए बड़ी कारगर है ।
हम बैक जा लोन का आवेदन शिघ्र देते हैं
कच्ची छत पक्की करने सपना पूरा करते हैं ।
बैंक पहुँचते ही नोटिस बोर्ड पर नजर टकराई बोर्ड पर लिखा था अभी हम खुद कंगाल है ।
मालिया ने हमें कर दिया है कंगाल जिसे हम
ढूँढने निकल पड़े है और जल्द ही लौट रहे हैं ।
मालिया नें हमें जबरदस्त चूना लगाया है
हम भी खुद सड़क पर आ कर खड़े हुए हैं ।
आज हम खुद ही कर्ज से लदे-दबे पड़े हुए है
फिलहाल बैंकलोन संबंधी कार्य बंद पड़े हुए है
अत: हमारी वापसी कत धिरज बनाए रखना
शान्ति के साथ बैठना,शान्ति बनाए रखना ।
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
शनिवार, 12 मार्च 2016
आज धूम्रपान रहित दिवस पर विशेष
वो कहते हैं
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किसी महबूबा से बीड़ी / सिगरेट बड़ी अच्छी होती है ।
जो दिल को तो जलाती है मगर होंठों से सदा लगी रहती है
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दारु एक गुण अनेक~> १.इंग्लिश आ जाती है २.डांस में एक्सपर्ट हो जाते हैं ३.दोस्ती गहरी होती है ४.सबसे बढ़कर, बीवी से भी आंख मिला कर बात कर सकते हैं ।
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मित्रों ये बातद शोरे शायरी चुटकुले में बोलना अच्छा लगता है । मगर हकीकत से सब परिचित हैै । अत: हम इतना ही कहेंगे की ----
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नशे से मत करो यारी, जिन्दगी हो जाती है भारी..! ज्यादा अति करोगे बे मौत मरोगे इसीलिए नशे को कहें टाटा, स्वस्थ्य और सुखी रहें भ्राता...!!
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
दिनांक १२/०३/२०१६
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो✨
सोमवार, 7 मार्च 2016
मेरी जीवन संगिनी ~
तुम तो सबकी सुनती रहती हो
सबके कारज पूरा करती हो
कभी इनके बुलाने पर
कभी उसके बुलाने पर
कभी मुख्यद्वारे से
तो कभी पिछवाड़े तक
देखो तुम दिन भर कितनी
चलती - फिरती ही रहती हो
तुम तो सबकी सुनती रहती हो
सबके कारज पूरा करती हो
नारी नौकरी पेशा हो
या कामकाजी ग्रहणी
सबकी चाकरी पूरा करने
करती धमाचौकड़ी कितनी
परिवार की धूरी रिश्तों की सेतु
रिश्तों एक घराना
जीवन भर नारी बुनती रहती
सब रिश्तों का ताना-बाना
माँ बहन बेटी के घर जब
रिश्तो का होता रेलमपेल
घर के अंदर या घर के बाहर
लग जाता कामों का ढेर
परिवार संयुक्त हो या एकल
ग्रहकार्य सकल करने होते है
पौ फटी नहीं की झाडू हाथ में
पहला पूरा नहीं की दुजा हाथ में
देखे कामों के कैसे कसे
आदेश पर आदेश होते रहते हैं....
अरी सुनती हो...... मुझे दफ्तर जल्दी है जाना जरा रसोई झटपट बनाना।
तभी रीमा-ओ अम्मा मेरी कंघी-चोटी कर दो और टिफिन बस्ते में रख दो ॥
उपर छत से सासु जी ने भी आवाज लगाई । अरी वो कमम्मो...मेरा माथा दुख रहा है जल्दी से इधर आना माथे पर बाम लगाना ।
अब बेटा भी बनठन के है तैयार और कहे...
मम्मी मेरा जूता नहीं दिख रहा ? ढ़ूंढ़ के ला दो यार । काॅलेज को जल्दी है जाना,भोजन की थाली लगाना ।।
अब पडोसन को भी अभी ही आना था ! चायपत्ती उधार मांगना था !
मुझे भी तो मंदिर है जाना हे ..! ईश्वर.... कितना काम...! बस काम, काम और काम । काम का निपटारा करते करते जीवन कब बिता कैसे बीता पता ही नहीं चला भई कोई तो मुझे बताना ॥
हे.! नारी/ हे...! नरनारायणी तुम्हारी लिला अपरंपार है । अब तुम्हें क्या समझाना । अब खुद को तुम ही समझो तुम ही जानो । हम तो बस इतना ही कहेगें कि-
तुम्हारा जीवन व्यर्थ नहीं ।
तुम बिन पुरुषों का कोई अर्थ नहीं ॥
इसीलिए-
प्रकृति का विध्वंस न करो भ्रुण हत्या बंद करो
नारी का सम्मान करो ✋
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी नारियों का आभार नमन ✋✋
~~~~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक 08/03/2016
शुभ संध्यामित्रों~
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो✨
रविवार, 6 मार्च 2016
बंट गया है -
देखें देश मे क्या कुछ बट गया है
देश की शान में कहे जाने वाले
विचारों पर मतभेद हो गया हैं
आन बट गया मान बट गया
भारत का गुणगान गाने वाले
इनसान का "मन" बट गया है
अखंडभारत और कौमी एकता के
अब कैसे- कैसे चर्चे हो रहे हैं
देंश में आजादी के नाम पर
धर्म बट गया है रंग बट गया हैं
गौ माँ बट गयी बकरा बट गया हैं
अभिव्यक्ति की आजादी नें
ऐसे ऐसे घिनौने खेल किए
दिल के दो तुकड़े कर दिये
एक तुकड़ा माँ को बट गया है
दुजा तुकड़ा बाप को बट गया है
जातिगत आरक्षण की आंधी ने
देश की संपत्ति को राख किया
आम बट गया खास बट गया
इनसानों का ईमान बट गया है
सफेदपोश राजनीति की आड़ में
संसद में बैठा भी नेता डट गया
पक्ष बट गया है विपक्ष बट गया है
सड़क छाप नेता भी बट गया है
चलचित्रों का चरित्र चित्रण भी
मैला हो गया कुचला हो गया
समाचारों का मापदंड घट गया
"जी" बट गया है "आज" बट गया है
प्रिंटमिडिया,विज्ञापन में बट गया है
फेसबुक की पटकथा भी राजनीति
धर्मपरायणता, आशिकी मिजाज़
चरित्रहीनता के मंचन से पट गयी
इसीलिए मित्रों का अभिमत बट गया हैं
लाईक बट गयी है
कमेंट्स बट गया है और
एक मित्र इधर बट गया है
दुसरा मित्र उधर बट गया है
तीसरा चौथा पाँचवाँ छटवां मित्र .....
इधर-उधर बट गया है ॥।
सारी दिल की दुनिया ही बट गईं है
मेर दिल अब अधिर,बेकल हो गया है **
~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक 06/03/2016
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो..
गुरुवार, 3 मार्च 2016
बजट-
बजट का हुआ इस कदर असर ..
सेंसेक्स दो दिन में जबरदस्त उछला ।
बुराई करने वालो की जुबान को कुचला
____________________ सेंसेक्स उछला॥
बजट में कूट- कूट कर प्रभाव भरे पड़े है ।
"हाथ कंगन को आरसी क्या" दो दिनों में ही ॥
"पुत के पांव पालने में" दिखाई देने लगे हैं ।
परखो, तो अपनाओ तो सही बुदबुदओ नहीं ॥
ओफ् .... हो अब काहे चिन्ता करते माई ।
अभी तो दो ही दिन हुए है धिरज रखो भाई ॥
बजट का खास असर देखना अभी बाक़ी है ।
दिन,सप्ताह,महिना पूरा साल अभी बाकी है ॥
~~~~~~> मनीष गौतम 'मनु'
शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो.....
बुधवार, 2 मार्च 2016
मजेदार गुदगुदी-
एक शराबी सड़क के किनारे बहुत ज्यादा पीने के कारण लगभग बेसुध सा पड़ा हुआ था ।
एक भले आदमी ने उसके पास आकर पूछा-
आखिर इतनी ज्यादा पीने की क्या जरूरत थी ?
शराबी- मजबूरी थी पीने के अलावा और कोई चारा ही नहीं था....!
भला आदमी- आखिर ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी ?
शराबी- बोतल का ढक्कन गुम हो गया था..
__________शुभ संध्या मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो ...