सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" गुलजार हो...
सुप्रभात मित्रों
आने वाला "पल" और "कल" गुलजार हो...
सुन्दर मनभावन छवि~
कृष्ण मिले न मिले मैं देखु तुममे "बाल गोपाल" तुमरी मस्कानों की शोभा , कर गई मुझको निहाल
खूब पढ़ो-आगे बड़ो हंसते गाते जिवन बिताना !मम्मी पापा का साथ निभाना हौसला उम्मिद और लगन शिलता से जीवन की हर राह जीतते जाना !
इन्ही शुभकामनाओ के साथ असीम प्यार..
प्यार...... प्यार ..... प्यार और प्यार.....!!
आनें वाला "पल" और "कल" मंगलमय हो....
़ ~~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
ये ऐसे थे - वो वैसे थे - ये ऐसे है -वो वैसे हैं -
पर पहले सोचो हम कैसे हैं क्योंकि~ (((((((((((((((((((((((())))))))))))))))))))))))
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय..!
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ....!!
शुभ-संध्या*
__________देवियों और सज्जनों*
आनें वाला " पल" और "कल" मंगलमय हो ....
(((((((((((((((((((((((())))))))))))))))))))))))
****_/\_ हे .... नीरभया_/\ _****
***************************
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी...,.
नारीयो तुम्हे वह तलवार फिर
से उठानी होगी, अपने ही घर के
कपूतो की बलि चढ़ानी पढ़ेगी.....!!
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी.....
सत्य, अहिँसा, प्रेम का पाठ ये हैवान न जाने,
अब इन्हे समझाना , साँपो को दुध पिलाने,
जैसी बातेँ होगी..!
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी.......
समाज, कानुन जब अंधा-बहरा-गूँगा हो जाये,
इन्हे राह दिखाना भी तुम्हारा फर्ज बन जाये..!
अर्ज है अब तुम अपने ही शौर्य से, करो ये
पूरा काम, समाज-सरकार की नीँद तुम्हेँ
उड़ानी होगी..!
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी...
एक दामिनी की हैवानी पर बलि चढ़ी है, उस
बलिदानी की कसम तुम्हेँ खानी होगी....!
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी.......
अब हर नारी इक
दामिनी बन जाओ, हैवानो का नरसंहार करते
जाओ, तुम्हेँ उस
दामिनी की आत्मा को शान्ति दिलानी होगी....!
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी.....
नारीयो तुम्हे वह तलवार फिर से उठानी होगी,
अपने ही घर के
कपूतो की बलि चढ़ानी पढ़ेगी.....!!
सन् 1857 की वह तलवार फिर
चमकानी होगी.......
------->> मनीष कुमार गौतम 'मनु' —
राम नाम की शाम है , मन भजले राम नाम ..!
बोलो राम राम राम - बोलो राम राम राम .!!
. शुभ संध्या मित्रों ~~~~~
मुस्कुरानें की वजह तुम हो.......भई मुस्कुराने की वजह हो न हो हम मुस्कुराते रहें क्योंकि मुस्कुराने के कई फायदें हैं और अंदाज भी जैसे-
मंदमंद /मुस्कान,खिलखिलाहट भरी/ मुस्कान
जलीली- कटीली/मुस्कान, नाकचड़ी/मुस्कान
मदमस्त. / मुस्कान , हरफनमौला/ मुस्कान
नजर चुराई / मुस्कान , दिलफेक / मुस्कान
दिल पर लगी/मुस्कान, बिनावजह के/ मुस्कान
क्रोधभरी/ मुस्कान, किलकारी भरी/ मुस्कान
चिड़चिड़ी / मुस्कान , मायुसी भरी /मुस्कान
रौब भरी /मुस्कान , घबराहट भरी /मुस्कान
हीनता भरी / मुस्कान, दीनता भरी / मुस्कान
दर्द भरी / मुस्कान, आन्नदमयी / मुस्कान
इन्तजार रूपि/मुस्कान, मिलन रूपि / मुस्कान
स्वागत की / मुस्कान ,बिदाई की / मस्कान
प्रेमी और प्रेमिका की प्रेम रूपि / मुस्कान
पति और पत्नी के बिच निवारण / मुस्कान
आदि आदि मुस्कानें........!!!
सभी मुस्कानों के अपने "कायदे और फायदें" हैं जिनका उपयोग परिस्थितियों के अनुसार किया जाता है ! कहते हैं- "हँसते- हँसते कट जाते हैं जिवन के रस्ते..!" और- "मुस्कुरानें की अदा कर देती फिदा....!" जब. किसी राह में आँखे- "दो" से-हो जातीं हैं "चार " तो होता है व्यवहार होती हैं बातें ,बढ़ती हैं चाहतें , शुरू होता मुलाकातों का सिलसिला बारम्बार और प्यारभरी मुस्कानों के साथ हो जाता है; प्यार प्यार प्यार और प्यार ...! है...! न..!! कमाल !! मुस्कुरानें का..!!!
खैर , जिवन सफर में मिलते हैं ! कई घाट/कई/हाट/ कहीं/ खाई /कहीं/ मोड़ , लेकिन " कल" और "काल" को किसनें जाना है हमें तो-हँसते-मुस्कुराते हुऐ बस यही गाना .......गाना........ है.....की.............
जिन्दगी एक सफर है सुहाना यहाँ कल क्या हो किसनें जाना....! पर.. . तु ...! हँसते... ..गाते .. ..मुस्कुराते ... हुये.....जाना!!!!!!!!!!!!!!
~~~~~>मनीष गौतम " मनु"
२७/०३/२०१५..
उम्र गुजर गई दुनिया को पढ़ाने में.!
आज खुद को पढ़ लूं समय निकाल के .!!
आने वाला "कल" और "पल" गुलजार हो...........!!!
_ __ शेर हो गये ढेर
_____________ याराना और यारी सेमिफाइनल
को पड़ गई भारी _______________________
_____________ अब हार को गम में न बदलना
टीम को किसी से कम न समझना __________
__________ _____ अब आगे की करो तैयारी
अगली बार " मकड़ी" की तरह _____________
_______ मेंहनत करके हार को जीत में बदलना
______________________
_ ______________________ शुभसंध्या मित्रों
2015 वर्ल्ड कप -
क्वाटर फाइनल तक बेहतरीन प्रदर्शन दिखाने
वाली भातीय क्रिकेट टीम सेमीफायनल में -
पराजीत ______________________________
_________________________ बेहद अफ्शोस _________ _____ ___________
सामना पत्नि से हो तो सब फुस्स$$$$$$$$$$
________________________ सुप्रभात मित्रों
आपका दिवस मंगलमय हो.!!
___________________ अपनी तो हर शाम
मित्रों की महफिल में है _________________
शुभसंध्या मित्रों - आने वाला कल गुलजार हो...
अभिव्यक्ति की ज्यादाती पर "कानुन"
सजा न दें पर प्रकृती और जिन्दगी का
"बकसना" मुश्किल ही नहीं नामुमकिनहै. !
अत: आजादी में शिष्टाचार आवश्यक है !!
____________सुप्रभात मित्रों शुभ दिवस
इक दुआ मांगी है मैने भगवान से !
सहोदर. - सखा के नाम से !
गम साया छू न सके आपको !
लगे रहें सभी अपने काम-धाम से !
सभी मंन्नतें हो पूरी आपकी !
सदा मुस्कुरातें रहें दिल-ओ- जान से !!
~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
२४/०३/२०१५.
*हँसते-हँसते फाँसी पर झुल गये वो .!
क्या गजब-गजब के दीवाने थे .!!
भारत-माता की रक्षा करने .!
खुद को गिरवी कर देने वाले थे.!!
हँसते-हँसते फाँसी पर झुल गये वो .!
क्या गजब-गजब के दीवाने थे .!!
मान बड़ाया माँ की शान बचाया .!
स्वाधिनता के कैसे-कैसे परवानें थे !!
हँसते-हँसते फाँसी पर झुल गये वो .!
क्या गजब-गजब के दीवाने थे .!!
खटीया खड़ी कर दी थी अंग्रेज की.!
शहीदों के क्या-क्या ताने - बाने थे !!
हँसते-हँसते फाँसी पर झुल गये वो .!
क्या गजब-गजब के दीवाने थे .!!
उनकी शहादत से स्वतंत्र हुए हम.!
वो हमें स्वाधिनता दिलानें वाले थे .!!
हँसते-हँसते फाँसी पर झुल गये वो .!
क्या गजब-गजब के दीवाने थे .!!
आज शहीदो के "शहीद-दिवस" पर .!
हम भी नमन करने वालों में से थे.!!
हँसते-हँसते फाँसी पर झुल गये वो .!
क्या गजब-गजब के दीवाने थे .!!
____________अमर शहीदों को कोटी-कोटी नमन
_____________________जय हिन्द °*° वन्दे मातरम्
~~~~~> मनीष गौतम 'मनु'
२३/०३/२०१५
फूलों की तरह खिलते रहो तुम ..!!
बड़े अच्छे लगते हैं ये धरती ये नदीयां और तुम.!!!
सादर नमन ..सादर नमन..सादर नमन..!!
आने वाला "पल" और " कल" गुलजार हो........
आज का विचार-
हमें किसी जीव/प्राणी का आंकलन उसकी
सामर्थ्यथता को देखकर करना चाहिए
आपका दिवस मंगलमय हो…
~ शुभ संध्या मित्रों~ *शुभ नवरात्री*~
आने वाला कल हम सब के लिए गुलजार हो
जानते सब है ! फिर भी सवाल क्यो...?
««««««««««««««««*»»»»»»»»»»»»»»»
मेरे विचार से** फेस बुक एक ऐसा मंच है |
जिसके माध्यम से हम अपनें विचार,अपनी भावना,अपनी कला किसी चित्र के मध्यम से
या लिख कर सारी दुनियाँ को दिखा सकते हैं , बता सकते हैं |
हम नये-नये मित्र बना सकते है | अन्य मित्रों के
पोस्ट पढ़ कर उनके विचार और उनकी भेजी गई जानकारीयों से हम परिचित हो सकते हैं |
इस तरह फेसबुक कई "बुराईयो और अच्छाईयो"
की एक "खुली पाठशाला है |" जिसके हम ही "शिक्षक और हम ही छात्र हैं |"
इसीलिए हम पर ही निर्भर करता है की हम
क्या पढ़ें…? या क्या पढ़ाऐ…?
आजकल फेसबुक में जो अश्लिलता आई है | उससे हम दूर रहें | "कर भला तो हो भला" … "कर बुरा तो हो बुरा..|"
फेसबुक एक परिवार है .....! आचार-विचार, व्यवहार, सुचना, दु:ख-दर्द, खुशीयाँ, बाँटने का घर-संसार है ..! दुश्कर्मोँ से दुर रहे हम..! फेसबुक को अपना खुद का परिवार समझें हम..!
भाई बातें तो बहुत हैं •पर आप बोर हो जावोगे मेरी बक-बक पढ़कर…? वैसे इतना पढ़ने के लिए धन्यवाद और नमस्कार |
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
भोर हुई कब की.,,.! मुर्गे ने भी बाँग लगाई..!
सुरज की लालीमा…! छाई आँसमा पर..……!
मित्रो अब तो छोड़ो रजाई......!!
(((((((((( सु-प्रभात )))))))))
*********मित्रवर********
आपका दिवस मंगलमय हो .. —
जय...गोवर्धन गिरधारी...हे...बांके बिहारी...!!
गउऐं चरावैं, छुप के माखन चुरावैं ,भोली सी,
मुस्कान पे, माँ यशोदा क्रोध को बिसारी..!
जय...गोवर्धन गिरधारी...हे....बांके बिहारी...!!
नटखट हैँ नंदलाला, सबको मोहित कर डाला,
बंशी की तान पे, गोपियाँ अपना दिल हारी..!
जय...गोवर्धन गिरधारी...हे...बांके बिहारी...!!
श्याम रंग वाला सबके, अखीयों का प्यारा,
जमुना के तट पर, रात-दिन की किलकारी...!
जय...गोवर्धन गिरधारी...हे...बाँके बिहारी...!!
------->> मनीष कुमार गौतम 'मनु'
सुरमई है शाम, और.........
हमतुम-हमतुम..क्यों हैं गुमसुम-गुमसुम..?
आओ सुख-दु:ख की दो चार बातें करें मित्रा-
सुन-सुन-सुन.....सुन -सुन-सुन...!!!
(`'•.¸(`'•.¸ ¸.•'´)(`'•.¸ ¸.•'´) ¸.•'´)
«`'•~=~शुभ संध्या मित्रवर ¸~=~.•'´»
आने वाला कल हम सब के लिए गुलजार
हो.....
इतनी जल्दी कहाँ नींद मुझे आती है..!
मै जागता हूँ और रात सो जाती है...!
सुबह होते ही मैं फिर बिखरने लगता हूँ..!
ना दिन को चैन ना रात सो सकता हूँ..!
और आपकी चाहत भी बार-बार
ये कहते जाती है...!
रात बाकी है अभी,बात बाकी है..!
But You Good Nigit ♥('-,_,--
♥-S*w*e*e*t ♥d*r*e*a*m*s
('-,♥-,_,-♥-, ♥('-,_,-♥-,_,-♥-,
~~~~~~~> मनीष गौतम " मनु"
~~~~~!*!*!* हे धरती-माता *!*!*! ~~~~~~~ ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
हे....! धरती-माता....!
अब यहाँ कुछ.....अच्छा नहीँ दिखता....!!!
हरियाली तेरी गोद से मिट रही ,
बगियन काटों से पट रही....!
अब न सौन्दर्य है\न सुरभि है\न सौरभता......
बस दरख्तो का उजड़ापन ही दिखता....!
हे....धरती-माता....!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
रिश्तों की डोरी टूट रही ,
संबंधता कोषों दुर हुई....!
न भाव है\न प्रेम है\न नाता...
बस रिश्तों का बेगानापन ही दिखता....!
हे.... धरती माता....!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
अब मासुमियत भी हवस का शिकार हुई,
मानव ने जनावर की जगह लई...!
अब न इन्सानियत है\न ईमान है\न सत् कर्म ...
बस हैवानियत का टाँडव दिखता....!
हे....धरती,-माता....!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
दुर्जन सज्जन बन गये,
सज्जन काल-कपोलित हुऐ...!
अब न नीति है \न नियम है \ न नीति विधाता....
बस निज स्वार्थीपन ही दिखता....!
हे.... धरती-माता...!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
असभ्यता, सभ्यता पर हावी हुई,
सभ्यसंस्कृति नित-नित मिट रही....!
अब न कपड़े है/न आँचल है/न ममता....
बस बच्चा बोतल से दुध पिते दिखता....!
हे.... धरती-माता....!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
धर्म के स्थल सूने पड़े,
मधुशालाऐ भीड़ से पटी रहे....
अब न आस्ता है\न पूजा है \न धर्मपरायणता....
बस अधर्मियों का टॉडव दिखता....!
हे....धरती-माता....!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
देश-प्रेम की भावना मिट रही,
मानव सभ्यता लुट रही....!
अब न देश-प्रेम है\न सरफरोसी है\न कोई देशभक्त....
बस मानव एक रुपये में बिकते दिखता....!
हे.... धरती-माता....!
अब यहाँ कुछ अच्छा नहीं दिखता....!!!
~~~~~~> मनीष कुमार गौतम 'मनु' —
१३/०३/२०१५
प्यार को गुलबदन न समझो....!
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
प्यार को गुलबदन न समझो....!
प्यार को प्यार रहने दो....!
प्यार एहसास है /प्यार ममता है /प्यार दुलार है...!
प्यार दो दिलो के मिलन का साझेदार है....!
प्यार जीवन की नैया का पतवार है....!
बिन पतवार नैया बेकार है...!
अब प्यार के नाम पर.....
फूहड़पन/व्याभिचार बड़ा/
प्यार बदनाम हो गया/रिश्तो में दरार है....!
रिश्तों के अनुरुप प्यार करना हम सिखें....!
फिर न इन्कार है /न मलाल है / न इन्तजार है/
केवल फिर- इजहार है /करार है /प्यारही प्यार है ......
~~~~~~> मनीष कुमार गौतम 'मनु'
१३/०३/३०१५
प्यार मेँ कभी कभी ऐसा हो जाता है..!
. छोटी सी बात का फसाना बन जाता है..!!
(`'•.¸(`'•.¸ ¸.•'´)(`'•.¸ ¸.•'´) ¸.•'´)
«`'•~=~शुभ संध्या श्रीमान ~=~.•'´»
(¸.•'´(¸.•'´ `'•.¸)(¸.•'´ `'•.¸)`'•.¸)
....आने वाला कल हम सब के लिए गुलजार
हो..!
कोई माने या न माने बचपन के दिन होते हैँ सुहानेँ..!
बेमतलब का रोना होता था, जिद पूरी करने के होते
थे कई बहानेँ..!बड़ते थे कई हाथ..! मिलते थे प्यार के
कई खजानेँ..! पर जवानी बन जाती है कोल्हू
का बैल..! बुढ़ाये मेँ अपनो के सुनने पढ़ते है ताने..!इस
चार दिन की जिन्दगी के जाने कितने फसाने..!
लाख फसाने हो पर जिये हम जिन्दादिली से..!
मिल ही जाते है जिन्दगी को मुस्कुराने के कई
बहाने..!!
~~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
दिनॉक -१३/०३/२०१५