खरा खरा मगर उम्दा कथन
मित्रवर व्यक्ति की पहचान कपडों से नहीं उसके व्यक्तित्व से उसके महान बनने के गुणों से की जाती है ।
खैर भाई मैं खुद मोदी जी का घोर विरोधी हूँ ! क्या जरुरत है गरीबों को सम्मान देने की, कहावत है कि दोस्ती बराबर वालों के साथ करना चाहिए ।और मोदी जी है की हर काम उल्टा ही किये जा रहें है ।
अब देखो देश में , खास व्यक्ति कोई सिद्धि पा ले तो मिडिया पर छा जाता है । प्रसिद्धि पा लेता है । मगर गली कुचे में रहने वालों की क्या बिसात की वह सिद्धिं पा लेने के बाद भी । प्रसिद्धि पाने या कोई बड़ा सम्मान पाने का हकदार हो ?पिछले साठ सालों का इस मामले में कोई खास इतिहास नहीं नजर आता ।
तब मोदी जी को क्यों पड़ी है की वो "दीया ले ले कर गली-कूचे में ढूंढ ढूंढ कर लोगो को सम्मानित करें । "देश में कमजोर गरीबों को बराबरी का दर्जा मिले उन्हें सम्मान मिले भई मेरी तरह कुछ लोगों को बेहद जलन हो रही होंगी ?
लगता है अब मोदी जी सूट- बूट पहनने के बाद भी अपनी हैसीयत, अपनी औकात , अपने कर्तव्य अभी भी नहीं भुले हैं ।
ऐसा प्रधानमंत्री जो कुर्सी की बजाए लोगों के दिलों में राज करता हो । उसे पछाड़ने "लोहे के चने चबाना पड़ेगा"
भारत माता की जय वन्देमातरम्