तुम तो सबकी सुनती रहती हो
सबके कारज पूरा करती हो
कभी इनके बुलाने पर
कभी उसके बुलाने पर
कभी मुख्यद्वारे से
तो कभी पिछवाड़े तक
देखो तुम दिन भर कितनी
चलती - फिरती ही रहती हो
तुम तो सबकी सुनती रहती हो
सबके कारज पूरा करती हो
नारी नौकरी पेशा हो
या कामकाजी ग्रहणी
सबकी चाकरी पूरा करने
करती धमाचौकड़ी कितनी
परिवार की धूरी रिश्तों की सेतु
रिश्तों एक घराना
जीवन भर नारी बुनती रहती
सब रिश्तों का ताना-बाना
माँ बहन बेटी के घर जब
रिश्तो का होता रेलमपेल
घर के अंदर या घर के बाहर
लग जाता कामों का ढेर
परिवार संयुक्त हो या एकल
ग्रहकार्य सकल करने होते है
पौ फटी नहीं की झाडू हाथ में
पहला पूरा नहीं की दुजा हाथ में
देखे कामों के कैसे कसे
आदेश पर आदेश होते रहते हैं....
अरी सुनती हो...... मुझे दफ्तर जल्दी है जाना जरा रसोई झटपट बनाना।
तभी रीमा-ओ अम्मा मेरी कंघी-चोटी कर दो और टिफिन बस्ते में रख दो ॥
उपर छत से सासु जी ने भी आवाज लगाई । अरी वो कमम्मो...मेरा माथा दुख रहा है जल्दी से इधर आना माथे पर बाम लगाना ।
अब बेटा भी बनठन के है तैयार और कहे...
मम्मी मेरा जूता नहीं दिख रहा ? ढ़ूंढ़ के ला दो यार । काॅलेज को जल्दी है जाना,भोजन की थाली लगाना ।।
अब पडोसन को भी अभी ही आना था ! चायपत्ती उधार मांगना था !
मुझे भी तो मंदिर है जाना हे ..! ईश्वर.... कितना काम...! बस काम, काम और काम । काम का निपटारा करते करते जीवन कब बिता कैसे बीता पता ही नहीं चला भई कोई तो मुझे बताना ॥
हे.! नारी/ हे...! नरनारायणी तुम्हारी लिला अपरंपार है । अब तुम्हें क्या समझाना । अब खुद को तुम ही समझो तुम ही जानो । हम तो बस इतना ही कहेगें कि-
तुम्हारा जीवन व्यर्थ नहीं ।
तुम बिन पुरुषों का कोई अर्थ नहीं ॥
इसीलिए-
प्रकृति का विध्वंस न करो भ्रुण हत्या बंद करो
नारी का सम्मान करो ✋
आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आप सभी नारियों का आभार नमन ✋✋
~~~~~~~~>मनीष गौतम 'मनु'
दिनांक 08/03/2016
शुभ संध्यामित्रों~
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो✨
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