ये हुँ’कार साकार होना चाहिए...!
बिखरों को आकार लेना चाहिए ...!
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अब अभिनव सवेरा होना चाहिए...!
.लेकिन ये सब करे कौन ....?
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हे...! 'जना'...! तूझे ही कहते हैँ
"जनता-जनार्धन". .!
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अब नियति का है आह्वान :-
तू 'नरसिँह' बन,
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तेरे ही हाथों पापीयो का
"नरसंहार" होना चाहिए...!
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ये हुँ’कार साकार होना चाहिए..!
अब अभिनव सवेरा होना चाहिए...!!
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***!!जय हिन्द भारत माता की जय !!***
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~~~>मनीष गौतम 'मनु'
सुप्रभात मित्रों-
आने वाला 'पल' और 'कल' मंगलमयी हो
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