*********अब मौत की तलाश*********** 
दोस्तों ,
कहानी में दर्द है ! किन्तु दर्द का कारण कौंन  ?
दोस्तों, इन्सान  के जन्म लेते ही प्यार भी पैदाहुआ  | 
 "प्यार दो आत्माओं  का मिलन है |" लेकिन हम प्यार
 का अर्थ जानते हुये  या फिर अंजान बनकर अर्थ  का 
अनर्थ कर देते हैं  |  तो फिर प्यार क्या  है.............?
श्रीमान जी-  "प्यार"   दिल से  उठने  वाली  एक 
"संवेदना  या  भावना"  है  |   जबकि  माता-पिता, 
भाई-बहन,  पत्नी ,बच्चे , मित्र आदि "रिश्ते"   हैं  | 
रिश्तों   के   बिच  मिठी-मिठी बातें करना, 
हँसना_हँसाना, रुलाना..हाथों से सहलाना.
चुमना..गले  या सिनें से लगाना..आदि  | की जाने 
वाली संवेदनाओं  भावनाओं और  व्यवहार को "प्यार"  
कहते हैं  | अत:  जीवन में -"रिश्ता रुपी   गाड़ी"  
चलाने के लिए "प्यार रुपी पेट्रोल"अति आवश्यक है  | 
वर्ना दोनो अधुरे हैं | एक और संवेदना  जिसे  सैक्स या  
संभोग  कहते हैं  | ये केवल एक ही रिश्ते-पत्निके लिए 
बना हैं  | पर  किसी लड़के-लड़की के बिचआकर्षण 
बड़  जाये  तो वे   इस रिश्ते को "प्यार" कहते है |किन्तु 
ये आकर्षण  या रिश्ता  केवल संम्भोग करने के लिए 
बनता है | जबकि समाज में   ऐसे  रिश्ते वर्जित हैं | 
यदि किसी लड़के  को  किसी लड़की से प्यार हो  
जाये तो  आगे बताऐ  गये, प्यार के प्रति वो भावनाऐं  
होनी चाहिए न की संभोग | यदि  संभोग आवश्यक 
है  तो सामाजिक रीति-रिवाजों के साथ  पहले विवाह
 होना आवश्यक है  | किन्तु विवाह में भी दर्द होता है | 
दिल टूटतें  हैं |  पर इसे सामाजिक  मान्यता है | इसमें 
ऐसा नहीं  की आज प्यार किया संभोग किया और
 कल छोड़ दिया | कुछ नियम-कानुन बनाये गये हैँ  | 
और विवाह को अटूट बँधन भी माना गया है | अत: 
किसी  लड़के-लड़की के बिच प्यार हो  तो उन्हें _
"आत्मिक प्यार हो",  "शारीरिक प्यार नहीं  | "
वर्ना चमड़ी  के चक्कर में दर्द तो भोगना ही पढ़ेगा...?
 धन्यवाद....|
                               ~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
१३/०३/२०१५