मै निकल पड़ा हूँ उस पथ पर ,
जिस पथ शोले उगलते अँगारे है ॥
पर लिए हौसला बुलंदियाँ छुने का,
अब मुझे बढ़ते रहना है हर हालो मे ॥
भूख-गरीबी दरिद्रता से पेंच लड़ा,
अब लड़ने चला हूँ उन्ही गलियारो मे ॥
पद लोलुप्ता का मोह नहीं मन मे,
नेकी करने चला हूँ हर घर-द्वारे मे ॥
गरीब किसान का भविष्य हो उज्जवल,
भारत को मंडने चला खेत-खलिहानों में ॥
दिखे शेर सा और सुन्दर हो मोर सा,
भारत विकसित हो चला हर भागों में ॥
दुश्मन गर अब आँखें मिला कर के देखे,
दम रखता अपने छत्तीस इंच के सीने में ॥
!!!! जय हिन्द*!!!! वन्दे मातरम् *!!!!
~~~~~~> मनीष गौतम "मनु"
दिनांक ०१/१०/२०१६
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